From Gerald Durrell’s , My Family and Other Animals, page 40
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Gradually the magic of the island settled over us as gently and clingingly as pollen. Each day had a tranquillity, a timelessness, about it, so that you wished it would never end. But then the dark skin of night would peel off and there would be a fresh day waiting for us, glossy and colourful as a child’s transfer and with the same tinge of unreality.
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धीरे धीरे द्वीप का जादूू परागकण की तरह कोमलता से लिपटकर हम पर छा गया। हर दिन की अपनी एक शांति, एक समयहीनता थी, जिससे आप चाहने लगते कि वह कभी ख़त्म न हो। पर तब रात का श्याामल तन छिल उठता और हमारे लिए एक नया ताज़ा दिन प्रतीक्षा कर रहा होता, एक बच्चे के तबादले की तरह, चमकदार और रंगीन और अवास्तविकता की उसी झलक के साथ।
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From Gerald Durrell’s , My Family and Other Animals, page 39
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What had at first been a confused babble, became a series of recognizable separate sounds. Then suddenly, these took on meaning, and slowly and haltingly I started to use them myself; then I took my newly acquired words and strung them into ungrammatical and stumbling sentences. Our neighbours were delighted, as though I had conferred some delicate compliment by trying to learn their language.
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पहले जो एक उलझी हुई बड़बड़ाहट थी, वो पहचानने योग्य अलग-अलग ध्वनियों की एक श्रंखला बन गई। फिर सहसा, उन्होंने अर्थ ग्रहण कर लिया, और धीरे-धीरे और रुक-रुक कर मैंने उन्हें स्वयं प्रयोग करना आरंभ कर दिया; तब मैंने अपने नये मिले शब्दों को लेकर उन्हें अव्याकरणिक और लड़खड़ाते वाक्यों में पिरो दिया। हमारे पड़ौसी खुश हो उठे, मानों उनकी भाषा सीखकर मैंनें कोई कोमल सराहना कर दी हो।
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From Gerald Durrell’s , My Family and Other Animals, page 65
Across the mouth of the bay a sun-bleached boat would pass, rowed by brown fisherman in tattered trousers, standing in the stern and twisting an oar in the water like a fish’s tail. He would raise one hand in a lazy salute, and across the still, blue water you could hear the plaintive squeak of the oar as it twisted, and the soft clop as it dug into the sea.
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खाड़ी के मुहाने के पार धूप से फीकी पड़ी एक नाव गुज़रती, जिसे फटी पतलून पहने एक भूरा मछुआरा खे रहा होता, नाव के पिछले हिस्से में खड़े होकर पानी में मछली की पूंछ की तरह एक चप्पू घुमाते हुए। वह अलसाए सलाम में एक हाथ उठाता। जब चप्पू घूमता तो ठहरे हुए नीले पानी के पार आप उसकी दर्द भरी चरमराहट सुन सकते थे और उसकी हल्की छपाक को भी जब वह समुद्र में डूब जाता।
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From Gerald Durrell’s , My Family and Other Animals, page 100
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In a moment of misguided enthusiasm Mother engaged the gardener’s wife to work for us in the villa. Her name was Lugaretzia and she was a thin lugubrious individual, whose hair was forever coming adrift from the ramparts of pins and combs with which she kept it attached to her skull. She was extremely sensitive, as mother soon discovered, and the slightest criticism of her work, however, tactfully phrased, would make her brown eyes swim with tears in an embarrassing display of grief. It was such a heart-rending sight to watch that Mother very soon gave up criticizing her altogether.
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There was only one thing in life that could bring a smile to Lugaretzia’s gloomy countenance, a glint to her spaniel eyes and that was discussion of her ailments.
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एक भटकाये हुए उत्साह के पल में मां ने माली की पत्नी को बंगले में हमारे लिये काम पर रख लिया। उसका नाम लुगारेटजिया था और वह एक दुबली उदास व्यक्ति थी जिसके बाल हमेशा पिन और कंघियों, जिनसे वह उनको अपनी खोपड़ी से लगाकर रखती थी, की चहारदिवारी से निकलकर फैलते रहते थे। वह अत्यंत संवेदनशील थी जैसा कि मां को जल्द पता चल गया, और भले ही कुशलता से गढी गयी हो, उसके काम की जरा सी भी आलोचना से उसकी भूरी आंखें दुख से झेंपाने वाले प्रदर्शन के साथ आंसुओं में तैरने लगती। यह इतना दुखदायी दृश्य होता कि मां ने उसकी आलोचना करना बिल्कुल ही छोड़ दिया।
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जीवन में केवल एक चीज़ थी जो लुगारेटजिया की उदास मुखमुद्रा पर मुस्कान ला सकती थी, उसकी खुशामदभरी आंखों में चमक ला सकती थी, और वह थी उसके कष्टों की चर्चा।
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From Gerald Durrell’s , My Family and Other Animals, page 108
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It intrigued me to see for the first time the hygienic arrangements of a bird’s nest. I had often wondered, when hand-rearing a young bird, why it hoisted its bottom skywards with much waggling when it wanted to excrete. Now I discovered the reason. The excreta of the baby swallows was produced in globules which were coated with mucus that formed what was almost a gelatine packet round the dropping. The young would stand on their heads, waggle their bottoms in a brief but enthusiastic rumba and deposit their little offerings on the rim of the nest. When the females arrived they would cram the food they had collected down the gaping throats, and then delicately pick up the dropping in their beaks and fly off to deposit it somewhere over the olive groves. It was an admirable arrangement, and I would watch the whole performance fascinated, from the bottom waggle-which always made me giggle-to the final swoop of the parent over the tree-top, and the dropping of the little black-and-white bomb earthwards.
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एक पक्षी के घोंसले की साफ-सफाई की व्यवस्था को पहली बार देखना मुझे दिलचस्प लगा। एक पक्षी को अपने हाथों बड़ा करते हुए मैं अक्सर सोचता था कि जब वह मल त्यागना चाहता था तो वह बहुत लड़खड़ाते हुये अपना निचला हिस्सा आकाश की ओर क्यों उठाता था। अब मैंने इसका कारण ढूंढ निकाला। शिशु भांडीक का मल छोटी गोलियों में उत्पन्न होता था जो श्लेष्मा से ढका होता था, जो कि बीट के लगभग चारों ओर सरेस की एक थैली बना देेता था। शिशु पक्षी अपने सिर के बल खड़े होते, अपने पिछले भाग को अल्पकालिक किंतु उत्साहपूर्ण रुंबा नृत्य में हिलाते, और घोंसले के गोल किनारों पर अपना चढावा जमा कर देते। जब मादा चिडि़या आती, वे अपना इकट्ठा किया भोजन फैलाये हुये गलों में ठूंस देती और तब मल को कोमलता से अपनी चोंच में उठा लेती और जैतून के कुंजों में उसे कहीं और जमा करने के लिए उड़ जाती। यह एक सराहनीय व्यवस्था थी और मैं यह पूरी प्रस्तुति मुग्ध होकर निहारता, पिछले भाग को हिलाने-डुलाने, जिस पर मुझे हॅंसी आती थी, से लेकर अभिभावक पक्षी के पेड़ के ऊपर आखिरी झपट्टेे और उन छोटे काले सफेद बमों को जमीन पर गिरानेे तक।
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From Gerald Durrell’s , My Family and Other Animals, page 71
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While I digested this curious information, Aphrodite appeared from the house, her wrinkled face as red as a pomegranate seed, bearing a tin tray on which was a bottle of wine, a jug of water, and a plate with bread, olives, and figs on it. Yani and I drank the wine, watered to a delicate pale pink, and ate the food in silence. In spite of his toothless gums, Yani tore large pieces of the bread off and champed them hungrily, swallowing great lumps that made his wrinkled throat swell. When we had finished, he sat back, wiped his moustache carefully, and took up the conversation again, as if there had been no pause.
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जब मैंने इस विचित्र जानकारी को हजम किया, एफ्रोडाइट घर से निकली। उसका झुर्रीदार चेहरा अनारदाने की तरह लाल था। वह एक ट्रे, जिसमें एक शराब की बोतल, एक जग पानी और एक रकाबी जिसमें ब्रेड, जैतून और अंजीर थे, उठाये हुये थी। यानी और मैंने शराब पी जिसे हल्का पीला गुलाबी होने तक पतला किया गया था और हमनें शांति से खाना खाया। अपने मसूढेविहीन दांतों के बावजूद यानी ने ब्रेड के बड़े टुकड़े तोड़े और भूखों की तरह चबाया, बड़े डले निगलते हुए जिससे उसका झुर्रीदार गला फूल गया। जब हमने खाना ख़त्म किया, वह फिर से बैठा, उसने अपनी मूंछ ध्यान से साफ की और फिर से वार्तालाप शुरु किया जैसे कि वह कभी रुका ही नहीं था।
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From Gerald Durrell’s , My Family and Other Animals, page 224
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“My one remaining vanity,” she said; “All that is left of my beauty.” She gazed down at the flood of hair as though it were a pet, or some other creature that had nothing to do with her, and patted it affectionately.
“It’s strange” she said “very strange. I have a theory, you know, that some beautiful things fall in love with themselves, as Narcissus did. When they do that, they need no help in order to live; they become so absorbed in their own beauty that they live for that alone, feeding on themselves, as it were. Thus the more beautiful they become, the stronger they become; they live in a circle. That is what my hair has done. It is self-sufficient, it grows only for itself, and the fact that my old body has fallen to ruin does not affect it a bit. When I die, they will be able to pack my coffin deep with it, and it will probably go on growing after my body is dust.”
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“मेरा एक बचा हुआ अभिमान,” उसने कहा, “जो कुछ मेरे सौंदर्य का शेेष रह गया।” उसने बालों की बाढ़ को निहाराा जैसे कि वह एक पालतू पशु हो या कोई और प्राणी जिसे उसके साथ कुछ नहीं करना और स्नेहपूर्वक उसे थपथपाया।
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“यह विचित्र है,” उसने कहा, “बहुत विचित्र। मेरा एक सिद्धांत है, जानते हो, कि कुछ सुंदर चीजें अपने ही प्यार में पड़ जाती हैं, जैसे कि नार्सिसस पड़ गया था। जब वे ऐसा करती हैं, तो उन्हें जीने के लिए किसी सहायता की आवश्यकता नहीं पड़ती। वे अपने सौंदर्य में इतना डूब जाती है कि वे सिर्फ इसी लिए जीती हैंं, मानों खुद का भोग करते हुए। इस तरह वेे जितना अधिक सुंंदर बनती हैं, उतना ही अधिक मजबूत बनती हैं। वे एक घेरे में रहतीी हैं। यही मेरे बालों ने किया है। येे आत्मनिर्भर हैं, येे सिर्फ अपने लिए बढ़तेे हैंं, और इस सच से कि मेरा वृद्ध शरीर नष्ट हो गया इन पर जरा भी फर्क नहीं पड़ता। जब मैं मरूंगी, येे मेरे ताबूत को उससे गहरे तक भर देनेे लायक होंगें और येे शायद मेरे शरीर से धूल बन जाने के बाद भी बढ़ते रहेंगें।”
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From Gerald Durrell’s , My Family and Other Animals, page 278
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The house was humming with activity. Groups of peasants, loaded with baskets of produce and bunches of squawking hens, clustered round the back door. Spiro arrived twice and sometimes three times a day, the car piled high with crates of wine, chairs, trestle tables and boxes of footstuffs. The Magenpies, infected with the excitement, flapped from one end of their cage to the other, poking their heads through the wire and uttering loud raucous comments on the bustle and activity. In the dining room, Margo lay on the floor surrounded by huge sheets of brown paper on which she was drawing large and highly colored murals in chalk; in the drawing room Leslie was surrounded by huge piles of furniture, and was mathematically working out the number of chairs and tables the house could contain without becoming uninhabitable; in the kitchen Mother (assisted by two shrill peasant girls) moved in an atmosphere like the interior of a volcano, surrounded by clouds of steam, sparkling fires, and the soft bubbling and wheezing of pots; the dogs and I wandered from room to room helping where we could, giving advice and generally making ourselves useful; upstairs in his bedroom Larry slept peacefully. The family was preparing for a party.
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घर चहल पहल से भरा हुआ था। किसानों के समूह, अपनी पैदावार की टोकरियां उठाए और कुड़कुड़ाती मुर्गियों के गुच्छों के साथ, पिछले दरवाज़े पर एकत्रित हो गए थे। स्पाइरो कार पर शराब की क्रेट्स, कुर्सियां, टकटकी तख्ते, और खाद्य पदार्थों के बक्सों का ऊंचा ढेर लगाए, दिन में कभी दो, तो कभी तीन बार पहुंचा। मेगनपाइस, जो इस उत्साह से अछूती नहीं थी, पिंजरे के तार से अपना सिर निकालकर और बाहर की चहल पहल और क्रियाकलाप पर तीखी कर्कश टिप्पणियां करते हुए पिंजरे के एक कोने से दूसरे कोने में फड़फड़ा रही थी। भोजन कक्ष में मार्गो भूमि पर लेटी थी, भूरे कागज़ के बड़े बड़े पत्रकों से घिरी, जिन पर वह चॉक से विशाल और बहुत रंगीन भित्ति-चित्र बना रही थी; बैठक में लेस्ली फनीर्चर के बड़े ढेर से घिरा हुआ था, और घर को रहने योग्य छोड़कर उसमें कितनी कुर्सियां और मेज़ें आ सकती हैं इसका हिसाब लगा रहा था। रसोई में मां (दो कर्कश कृषक कन्याओं के साथ) भाप के बादलों, चमकती आग, और देगचियों की नर्म खदबदाहट और घरघराहट से घिरी हुई, ज्वालामुखी के भीतर जैसे वातावरण में चली गयी थी। कुत्ते और मैं एक कमरे से दूसरे कमरे जाकर, सलाह देकर और सामान्यत: स्वयं को उपयोगी बनाकर, जहां हो सके मदद कर रहे थे। सीढीयों के ऊपर लैरी अपने शयनकक्ष में चुपचाप सो रहा था। परिवार समारोह की तैयारियों में जुटा हुआ था।
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