जब भी किसी राजनेता द्वारा सार्वजनिक मंच से हिन्दी के राष्ट्रभाषा होने का दम भरा जाता है या उसके राष्ट्रभाषा बनाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है तो कहीं और से हो न हो तमिळनाड से विरोध का स्वर अवश्य मुखर होता है। हाल ही में भी कुछ ऐसा ही हुआ है किंतु […]
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