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कण्‍णदासन् और कर्ण से कृष्‍ण की क्षमायाचना

प्रस‍िद्ध तम‍िळ कव‍ि और स‍िनेगीतकार कण्‍णदासन् की कालजयी रचनाओं में से एक है चलच‍ित्र कर्णन् का यह गीत। वीर, दानी और कुन्‍ती का पुत्र होने के बावजूद कर्ण अभागा ही रहा । यह गीत न केवल कर्ण को कृष्‍ण की श्रद्धांजल‍ि है बल्क‍ि कर्ण से कृष्‍ण की क्षमायाचना भी है। ह‍िन्‍दी में मैथ‍िल‍ीशरण गुप्‍त ने […]

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