. कुछ दिनों पहले अपनी पुरानी वस्तुएं निहारते हुए एक स्वरचित कविता “बाल श्रमिक” हाथ लग गयी। शेष कविताओं की तुलना में यह इसलिए विशिष्ट थी कि मैंने इसे विद्यालय स्तरीय कविता प्रतियोगिता में भेजने का निश्चय किया था। इसे टंकित करवाकर मैं अपने प्रधानाचार्य से हस्ताक्षरित करवाने भी गया था। अपना संकोच छोड़कर इतना […]
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