Sanskrit Song: Van Upvan sam Kopi Na Antar from Ramayana: The Legend of Prince Rama

Ajay Singh Rawat/ January 18, 2021

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“रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस रामा” भारत-जापान के परस्‍पर सहयोग से बनाा रामायण पर आधार‍ित एक एनिमेशन चलच‍ित्र था । इसके संस्‍कृत गीत वसंत देव ने ल‍िखे थे ज‍िन्‍होंने संस्‍कृत नाटक “मृच्‍छकट‍िकम्” पर आधार‍ित ह‍िन्‍दी चलच‍ित्र “उत्‍सव” के ल‍िए भी सुमधुर गीत ल‍िखे और राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार भी जीता। इस चलच‍ित्र का संगीत वनराज भाट‍िया ने रचा था। इन दोनों की सुंदर जुगलबंदी “भारत एक खोज” में भी देखने को मि‍लती है जहां वसंत देव ने ऋग्वेद के दशम मंडल के नासदीय सूक्त का ह‍िन्‍दी अनुवाद किया था।

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धर्मवीर भारती ने अपनी पुस्‍तक “साह‍ित्‍य, व‍िचार और स्‍मृत‍ि” में “संस्‍कृत, अंग्रेजी, जापानी, रामकथा क‍िम‍ि जाय बखानी” शीर्षक लेख इसी चलच‍ित्र पर ल‍िखा है।
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इस गीत का अनुवाद करते समय मुझे अनायास ही मैथिलीशरण गुप्‍त की साकेत में से “मेरी कुट‍िया में राजभवन मन भाया” याद आ गया।
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वन उपवन सम कोऽपि न अन्‍तर
वन उपवन सम कोऽपि न अन्‍तर
स्‍वागत हेतु अहर्न‍िश दोलित लोह‍ित नव पल्‍लव कर
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कोऽपि न अन्‍तर
कोऽपि न अन्‍तर
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सुमन पल्‍लवि‍त मनोभावैव
लता वि‍तान छत्र चामर इव
चारण गायन शुक प‍िक सार‍िक
मधुर स्‍वराली न‍िरंतर
समन्‍त सुखकर
समन्‍त सुखकर
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पंजर पाल‍ित शुकी कदाच‍ित्
मुक्‍तिलाभ वरदान अयाच‍ित
सुख साधन अत‍ि सुलभ वने इह
जीवन नह‍ि बन्‍धनकर
अत‍िशय शुभकर
अत‍िशय शुभकर
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राजगृहम् वा कुटजम् दीनम्
सघनतरूतले छायाशयनम्
उपधानीयम् कांतभुजा यद‍ि
तर्ह‍ि गाढ सुखन‍िद्राभर
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वन उपवन सम कोऽपि न अन्‍तर
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अर्थ:

य‍ह वन उद्यान जैसा ही है, कोई अंतर नहीं है
यहां नए उगे लाल पत्‍ते रूपी हाथ द‍िन रात ह‍िलते हुए हमारा स्‍वागत करते हैं
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जैसे मन में भाव व‍िकस‍ित होते हैं, वैसे ही फूल यहां ख‍िलते हैं
बेलें तंबू, छत्र और चंवर जैसी हैं
तोते और कोयल प्रशस्‍ति गायन में मधुर स्‍वर का उच्‍चारण करते हैं
यहां सब कुछ सुखकर है
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यहां आकर मानों प‍िंजरे में पली बढ़ी तोती जैसी मुझको
ब‍िना मांगे मुक्‍त‍ि का वरदान म‍िल गया है
यहां वन में सभी सुख साधन उपलब्‍ध हैं
यह वन्‍य जीवन बन्‍धन कर नहीं है
यह बहुत मंगलमय है
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चाहे राजमहल हो या गरीब की कुट‍िया
घने पेड़ की छाया में सोते हुए पति‍ की बांह का तकिया हो तो
गहरी सुखदायक नींद आती है।
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The forest is no different from (royal) garden.
Day and night the new red leaves wave like hands to welcome us.
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The flowers in bloom are like expressions of mind.
The creepers make for canopy, umbrella and feather fan.
Parrots and cuckoo consistently sing melodies like praise singers.
It is all pleasant.
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The parrot that was brought up in cage
got blessed with freedom unasked for
The means of comfort are easily available in this forest.
The life is not bound. It is auspicious.
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Be it a royal palace or humble hut
Lying beneath a dense shady tree
If there is pillow of husband’s arm
I would fall in deep pleasant sleep.
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The forest is no different from (royal) garden.
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English transliteration
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Van upvan sam kopi na antar
Van upvan sam kopi na antar
Swagat hetu ahar-nish dolit, lohit nava pallav kar.
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Suman pallavit manobhav iva
Lata-vitaan chatra chamara iva
chaaraan gaayaan shuk-pik-saarik
madhur swarali niranatar
samanta sukhakar
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Panjar paalit shuki kadachit
mukti labha-vardaan ayachit
sukh sadhan aati sulabh vane iha
jeevan nahi bandhan kar
aatishaya shubh kar
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Rajgriham va kutajam deenam
saghana tharu thale chaaya shayanam
Updhaaneeyam kaant bhuja yadhi
Tarhi gaadh sukh nidrabhar

Van upvan sam kopi na antar

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