Author: Ajay Singh Rawat

तम‍िळों के द‍िल की रानी: ब‍िर‍यानी

. हम भारतवास‍ियों की रसनालोलुपता या स्‍वादव‍िलास‍िता का सबसे अच्‍छा प्रमाण यह है क‍ि यहां हर प्रदेश के दर्जनों अपने व्‍यंजन हैं। सामान्‍यतया दक्ष‍िण भारतीय व्‍यंजनों का उल्‍लेख होने पर इडली दोसै का ख्‍याल सबसे पहले आता है और तम‍िळनाड के व‍िषय में भी यही सच है। क‍िंतु इडली दोसै के अत‍िर‍िक्‍त भी तम‍िळनाड के […]

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तम‍िळनाड का मदोन्‍मत्‍त नृत्‍य: दप्‍पानकुत्‍त

तम‍िळनाड का शास्‍त्रीय नृत्‍य भरतनाट्यम व‍िश्‍वप्रस‍िद्ध है। इस नृत्‍य को सीखना एक साधना है जो सबके बस की बात नहीं है। क‍िंतु अपनी खुशी प्रकट करने के ल‍िए नृत्‍य करना और दूसरों की खुश‍ियों को बांटने के ल‍िए उनके नृत्‍य में शाम‍िल होने का चलन व‍िश्‍व में सर्वत्र है। तम‍िळनाड में भी दप्‍पानकुत्‍त ऐसा ही […]

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Meenakshi Sundereshwar

मीनाक्षी सुंदरेश्‍वर: द्रव‍िड़ युगल का दूरस्‍थ दाम्‍पत्‍य

अंतर्जाल (इंटरनेट) का एक सुंदर योगदान है पारगामी प्रान्‍तीयता। व‍िव‍िध भाषा और संस्‍कृत‍ि वाले भारत देश में देशवास‍ियों के ल‍िए एक दूसरे के भाषायी और सांस्‍कृत‍िक पर‍िवेश से सुभ‍िज्ञ होना इतना सरल नहीं है ज‍ितना क‍ि हम समझ बैठते हैं। तम‍िळ और ह‍िन्‍दी की आपसी समझ भी ऐसी ही है। . तम‍िळ स‍िनेमा की पार‍िवार‍िक […]

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आण्‍डाल की मनोहारी भक्‍त‍िरचना: त‍िरुप्‍पावै

1. मारगड़ीत्‍त‍िंगल मद‍ि न‍िरैन्‍दा नन्‍नालाल नीराडप्‍पोदुवीर पोदुम‍िनो नेर‍िड़ैयीर सीर मलगुम आयप्‍पाडीच्‍चेल्‍वच्‍चि‍रूमीरगाल कूरवेल कोडुन्‍दोड़‍िलान नन्‍दगोपन कुमरन् एरान्‍द कन्‍नी यसोदै इलम स‍िंगम कार मेनी सेनगन कद‍िर मद‍ियम पोल मुगत्‍तान नारायणने नमक्‍के पारै तरूवान पारोर पुगड़ाप्‍पड‍िन्‍देलोर एम्‍पावाय ।। . . अरी सुसज्‍ज‍ित कुमार‍ियों यह मार्गशीर्ष की पूर्ण‍िमा का शुभ द‍िन है। जो यमुना में स्‍नान की इच्‍छुक हैं […]

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पोन्‍न‍िय‍िन सेल्‍वन: कल्‍क‍ि की कृत‍ि और स‍िनेमा का ऐश्‍वर्य

. मणिरत्‍नम् द्वारा सहन‍िर्म‍ित और न‍िर्देश‍ित इस चलच‍ित्र ने तम‍िळ लेखक कल्‍क‍ि की कालजयी कृत‍ि पोन्‍न‍िय‍िन सेल्‍वन को फ‍िर से चर्चा में ला द‍िया है। पोन्‍न‍िय‍िन सेल्‍वन का अर्थ है पोन्‍नी नदी का पुत्र। इस कथा का जन्‍म उस कथाकार के हृदय में हुआ जो पोन्‍नी अथवा कावेरी नदी के क‍िनारे पला बढ़ा। कावेरी नदी […]

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कण्‍णदासन् और कर्ण से कृष्‍ण की क्षमायाचना

प्रस‍िद्ध तम‍िळ कव‍ि और स‍िनेगीतकार कण्‍णदासन् की कालजयी रचनाओं में से एक है चलच‍ित्र कर्णन् का यह गीत। वीर, दानी और कुन्‍ती का पुत्र होने के बावजूद कर्ण अभागा ही रहा । यह गीत न केवल कर्ण को कृष्‍ण की श्रद्धांजल‍ि है बल्क‍ि कर्ण से कृष्‍ण की क्षमायाचना भी है। ह‍िन्‍दी में मैथ‍िल‍ीशरण गुप्‍त ने […]

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अनुवादक की दुव‍िधा:घरवाली या बाहरवाली

. 26 स‍ितंबर 2021 . यूं तो कुछ ल‍िखने की इच्‍छा मन में सदा से रही क‍िंतु जब भी ल‍िखने की बारी आती है तो मन असमंजस में पड़ जाता क‍ि क्‍या ल‍िखें। यह वेब पृष्‍ठ व‍िचारों की एक गुल्‍लक की तरह है ज‍िसमें मन में बरबस उठने वाले व‍िचारों को सहेजने का प्रयास भर […]

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Spectrum of Sound through Prism of Subtitle

Remember the time when cinema was silent and there used to be few subtitles in it. Now the cinema talks and therefore subtitles have evolved remarkably. Now they serve to maximize the approach of cinema to a global audience. They are not only meant for the people who do not understand a particular language but […]

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Thalaivi

थलाइवी: अंग्रेज़ी की ताल पर ह‍िन्‍दी की ता ता थैया

तम‍िळनाड की मुख्‍यमंत्री जयलल‍िता की जीवनी पर आधार‍ित कंगना रणौत के बहुप्रतीक्ष‍ित और बहुभाषी चलच‍ित्र का व‍िज्ञापन जारी हो चुका है और पर्याप्‍त प्रशंसा भी बटोर रहा है। जयलल‍िता को अभ‍िनेत्री और नेत्री दोनों के रूप में तम‍िळनाड के लोगों का भरपूर प्‍यार म‍िला। कंगना का व्‍यक्‍त‍ित्‍व भी जयलल‍िता से मेल खाता सा लगता है। […]

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Father Reginald

लैट‍िन भाषा का अलबेला सपूत: फादर रेजिनाल्ड फोस्टर

लैट‍िन एक भारोपीय भाषा है जो इटली में जन्‍मी और रोमन साम्राज्‍यवाद द्वारा अध‍िकांश यूरोप और उत्‍तरी अफ्रीका के भागों में फैली। रोमन साम्राज्‍य के पतन के बाद लात‍िनी भाषा मृत हो गयी क‍िंतु वास्‍तव में यह अपने ही सरल संस्‍करण में पर‍िवर्त‍ित हो गयी ज‍िसे सामान्‍य लैट‍िन (vulgar Latin) कहा गया। उसके बाद यह […]

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