Author: Ajay Singh Rawat

तम‍िळनाड बनाम तम‍िळगम: “शब्‍दभेदी” बाण और “राज्यनीत‍िक” औच‍ित्‍य

. आमतौर पर गैरतम‍िळ अपने तम‍िळ भाषा के अज्ञान के कारण तम‍िळों के न‍िशाने पर रहते हैं। क‍िंतु इस बार कुछ व‍िपरीत हूआ है। अज्ञान की भांत‍ि अत‍िज्ञान भी कभी कभी व‍िवाद उत्‍पन्‍न कर देता है। यह प्रसंग इसी बात का एक अच्‍छा उदाहरण है। तम‍िळनाड में पोंगल के हर्षोल्‍लास के वातावरण में एक शासकीय […]

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पेर‍ियार

द्रव‍िड़ राजनीत‍ि के बापू: तन्‍दै पेर‍ियार

पेर‍ियार दक्ष‍िण भारतीय राजनीत‍ि का एक प्रखर व्‍यक्त‍ित्‍व हैं ज‍िन्‍होंने वहां के जनसाधारण में सामाज‍िक समानता और आत्‍मसम्‍मान का अलख जगाया। तम‍िळनाड की राजनीत‍ि का न‍िरालापन पेर‍ियार की ही देन हैं। . जो ह‍िन्‍दू धर्म की व‍िशेषताओं में रूच‍ि रखते हैं उन्‍हें तम‍िळनाड अत्‍यंत धार्म‍िक प्रतीत होगा। ललाट पर व‍िभूत‍ि या कुमकुम लगाने वाले लोग, […]

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कुश की अंगूठी पव‍ित्री

पव‍ित्री: एक गुमशुदा नाम की घरवापसी

दोपहर को डाक‍िया मां के हाथ में ल‍िफाफा थमा गया। मां उसे मुझे देते हुए बोली, “देख तो, आधार कार्ड आ गया है शायद। ल‍िफाफा खोलकर देखा तो मेरी बांछे ख‍िल गयीं। प‍िछले दो वर्षों की मेरी दौड़ धूप सफल हो गयी। मां का आधार कार्ड उनके मौल‍िक नाम व जन्‍मत‍िथ‍ि के साथ अद्यतन‍ित (updated) […]

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एन्‍जॉय एन्‍जामी: औपन‍िवेश‍िक अतीत से उपजा गीत

. दस मार्च 2021 को यूट्यूब पर एक ऐसा तम‍िळ गाना व‍िमुक्‍त (र‍िलीज) हुआ जो देखते ही देखते अत्‍यध‍िक लोकप्र‍िय हो गया। प्रचार माध्‍यमों के घटाटोप में आजकल गीतों का लोकप्र‍िय होना कोई बड़ी बात नहीं है। इस गीत को शेष गीतों से जो बात पृथक करती है, वह है इसकी व‍िषयवस्‍तु जो क‍िसी प्रेमी […]

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शास्‍त्रीय नृत्‍य की दीक्षांत प्रस्‍तुत‍ि: अरंगेट्रम्

. प‍िछले द‍िनों एक समाचार ज‍िसने सुर्ख‍ियां बटोरी वह था अंबानी पर‍िवार की भावी पुत्रवधू राध‍िका का अरंगेट्रम् समारोह। समाचार अध‍िकतर समारोह में कौन कौन सी हस्‍त‍ियां पधारीं और क‍िसने क्‍या पोशाक पहनी की चर्चा तक ही स‍िमटा रहा। जबक‍ि अरंगेट्रम् के व‍िषय में बहुत कुछ जानने योग्य है। . अरंगेट्रम् चमक दमक की दुन‍िया […]

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ह‍िन्‍दी व‍िरोध का तम‍िळ सुर: इन्‍बत्‍तम‍िळ एंगल उर‍िमैचेम्‍मपय‍िरक्‍कु वेर!

जब भी क‍िसी राजनेता द्वारा सार्वज‍न‍िक मंच से ह‍िन्‍दी के राष्‍ट्रभाषा होने का दम भरा जाता है या उसके राष्‍ट्रभाषा बनाए जाने क‍ी आवश्‍यकता पर जोर द‍िया जाता है तो कहीं और से हो न हो तम‍िळनाड से व‍िरोध का स्‍वर अवश्‍य मुखर होता है। हाल ही में भी कुछ ऐसा ही हुआ है क‍िंतु […]

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तम‍िळों के द‍िल की रानी: ब‍िर‍यानी

. हम भारतवास‍ियों की रसनालोलुपता या स्‍वादव‍िलास‍िता का सबसे अच्‍छा प्रमाण यह है क‍ि यहां हर प्रदेश के दर्जनों अपने व्‍यंजन हैं। सामान्‍यतया दक्ष‍िण भारतीय व्‍यंजनों का उल्‍लेख होने पर इडली दोसै का ख्‍याल सबसे पहले आता है और तम‍िळनाड के व‍िषय में भी यही सच है। क‍िंतु इडली दोसै के अत‍िर‍िक्‍त भी तम‍िळनाड के […]

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तम‍िळनाड का मदोन्‍मत्‍त नृत्‍य: दप्‍पानकुत्‍त

तम‍िळनाड का शास्‍त्रीय नृत्‍य भरतनाट्यम व‍िश्‍वप्रस‍िद्ध है। इस नृत्‍य को सीखना एक साधना है जो सबके बस की बात नहीं है। क‍िंतु अपनी खुशी प्रकट करने के ल‍िए नृत्‍य करना और दूसरों की खुश‍ियों को बांटने के ल‍िए उनके नृत्‍य में शाम‍िल होने का चलन व‍िश्‍व में सर्वत्र है। तम‍िळनाड में भी दप्‍पानकुत्‍त ऐसा ही […]

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Meenakshi Sundereshwar

मीनाक्षी सुंदरेश्‍वर: द्रव‍िड़ युगल का दूरस्‍थ दाम्‍पत्‍य

अंतर्जाल (इंटरनेट) का एक सुंदर योगदान है पारगामी प्रान्‍तीयता। व‍िव‍िध भाषा और संस्‍कृत‍ि वाले भारत देश में देशवास‍ियों के ल‍िए एक दूसरे के भाषायी और सांस्‍कृत‍िक पर‍िवेश से सुभ‍िज्ञ होना इतना सरल नहीं है ज‍ितना क‍ि हम समझ बैठते हैं। तम‍िळ और ह‍िन्‍दी की आपसी समझ भी ऐसी ही है। . तम‍िळ स‍िनेमा की पार‍िवार‍िक […]

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आण्‍डाल की मनोहारी भक्‍त‍िरचना: त‍िरुप्‍पावै

1. मारगड़ीत्‍त‍िंगल मद‍ि न‍िरैन्‍दा नन्‍नालाल नीराडप्‍पोदुवीर पोदुम‍िनो नेर‍िड़ैयीर सीर मलगुम आयप्‍पाडीच्‍चेल्‍वच्‍चि‍रूमीरगाल कूरवेल कोडुन्‍दोड़‍िलान नन्‍दगोपन कुमरन् एरान्‍द कन्‍नी यसोदै इलम स‍िंगम कार मेनी सेनगन कद‍िर मद‍ियम पोल मुगत्‍तान नारायणने नमक्‍के पारै तरूवान पारोर पुगड़ाप्‍पड‍िन्‍देलोर एम्‍पावाय ।। . . अरी सुसज्‍ज‍ित कुमार‍ियों यह मार्गशीर्ष की पूर्ण‍िमा का शुभ द‍िन है। जो यमुना में स्‍नान की इच्‍छुक हैं […]

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