तमिळनाड से एक नया विवाद इन दिनों सुर्खियों में है। अवसर था दूरदर्शन चेन्नै के स्वर्णजंयती समारोह और हिन्दी माह के समापन समारोह का सहआयोजन जहां तमिळ राज्यगान “तमिळत्ताय वालत्त” के गायन में द्रविड़ शब्द के उच्चारण में हुई चूक मुख्यमंत्री स्टालिन को बहुत नागवार गुजरी। सदा की तरह उनका कोपभाजन बने तमिळनाड के राज्यपाल […]
Read More..हाल ही में प्रदर्शित चलचित्र आवेशम ने मलयालम के एक भक्तिगीत करिंगालियल्ले.. के बोलों को पुन: लोकप्रिय कर दिया। इस गीत की पृष्ठभूमि में विरोधाभासी भावों की मुखमुद्रा बनाकर इंस्टाग्राम पर कई रीलें बनीं और क्षणिक मनोरंजन के चलन में इसका गंभीर अर्थ गैरमलयाली लोगों पर उजागर नहीं हो पाया। जब गुजराती भजन “जूनाड़ा मा […]
Read More... अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन की आगामी फिल्म आडजीवितम नजीब के आंसुओं की स्याही से लिखा गया त्रासदी का एक वास्तविक दस्तावेज़ है जो इसे सभी काल्पनिक कृतियों से निराला बना देता है। खाड़ी देशों में प्रवासी मलयालियों के जीवन और संघर्ष पर मलयालम सिनेमा में कई चलचित्र बने हैं जैसे आयशा, गदम्मा, म्याऊं, अरबीकथा, डायमंड […]
Read More... 25 जनवरी 2024 को इलैयाराजा की पुत्री और तमिळ सिनेगायिका भवतारिणी का निधन हो गया। वह दीर्घकाल से यकृत कर्करोग से ग्रस्त थी। उनके निधन से सम्पूर्ण तमिळ समुदाय शोकनिमग्न हो गया। अपनी एक सुरीली गायिका को असमय खोने के दुख के साथ ही उसके पिता और अपने प्रिय संगीतकार की वेदना ने भी […]
Read More... हिन्दी में एक कहावत है, हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फारसी क्या। यह कहावत संभवत: तब से चली आ रही है जबसे भारत में फारसी एक प्रमुख प्राशासनिक भाषा थी। फारसी भाषा का उद्भव पहलवी भाषा से हुआ है। पहलवी और संस्कृत भगिनी भाषाएं हैं। अस्तु, हिन्दी-अंगरेजी के इस युग में […]
Read More... गोलू शब्द सुनकर किसी उत्तर भारतीय के मन में किसी प्यारे से गोल मटोल बच्चे की छवि उभरती है, गोलू कई बच्चों को प्यार से बुलाया भी जाता है, किंतु दक्षिण भारत में गोलू या कोलू मिट्टी या लकड़ी से बने उन खिलौनों को कहते हैं जिनसे नवरात्र पर वे अपने घर को सजाते […]
Read More..चंद्रमुखी अर्थात् शशिवदना अर्थात् चंद्रमा जैसे मुख वाली। सदियों से यह उपमान सुंदर स्त्रियों के लिए प्रयुक्त होता रहा है और अब तक इसकी आभा फीकी नहीं पड़ी है। आप किसी सुंदरी को जगतसुंदरी, विश्वसुंदरी, परमसुंदरी के विशेषणों से ही क्यों न विभूषित कर दें जब तक चंद्रमा से उसकी तुलना न की जाए तब […]
Read More..प्रारंभ में ही स्पष्ट करना चाहूंगा कि शीर्षक में उल्लिखित एकलव्य की प्रतिभा और निष्ठा से मेरा कोई सादृश्य नहीं है। किंतु गुरू का अभाव एकमात्र कारण है जो मुझे एकलव्य और अपने लिए एक सा जान पड़ता है। लगभग एक दशक पूर्व तमिळ सीखने की मेरी इच्छा मुझे मलयालम सीखने की ओर ले गयी […]
Read More..वर्ष 2023 की एक भारतीय भाषायी और सिनेमाई उपलब्धि यह रही कि तमिळ वृत्तचित्र “एलिफेन्ट व्हिसपरर्स” ने ऑस्कर पुरस्कार जीता। रूपहले परदे पर संजोयी गयी मनुष्य और हाथी के पारस्परिक स्नेह की यह कानाफूसी तमिळनाड के उदगमण्डलम् या ऊटी में सुनाई देती है जहां का आदिवासी समुदाय काट्टनायकन पीढ़ी दर पीढ़ी हाथियों के लालन पालन […]
Read More... कुछ दिनों पहले अपनी पुरानी वस्तुएं निहारते हुए एक स्वरचित कविता “बाल श्रमिक” हाथ लग गयी। शेष कविताओं की तुलना में यह इसलिए विशिष्ट थी कि मैंने इसे विद्यालय स्तरीय कविता प्रतियोगिता में भेजने का निश्चय किया था। इसे टंकित करवाकर मैं अपने प्रधानाचार्य से हस्ताक्षरित करवाने भी गया था। अपना संकोच छोड़कर इतना […]
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