चंद्रमुखी अर्थात् शशिवदना अर्थात् चंद्रमा जैसे मुख वाली। सदियों से यह उपमान सुंदर स्त्रियों के लिए प्रयुक्त होता रहा है और अब तक इसकी आभा फीकी नहीं पड़ी है। आप किसी सुंदरी को जगतसुंदरी, विश्वसुंदरी, परमसुंदरी के विशेषणों से ही क्यों न विभूषित कर दें जब तक चंद्रमा से उसकी तुलना न की जाए तब तक मानों उसके सौंदर्य की स्तुति अधूरी ही है।
.
चंद्रमुखी का उल्लेख हिन्दी और तमिळ दर्शकों के मन में दो भिन्न भिन्न छवियां उभारता है। हिन्दी दर्शक जहां पारो के प्रेम में हताश देवदास का मन बहलाने वाली और उससे प्रेम कर बैठने वाली वारांगना को याद करते हैं वहीं तमिळ दर्शकों अपने प्रेमी के वध का प्रतिशोध लेने वाली रक्तपिपासु पिशाचिनी की याद से सिहर उठते हैं। दोनों ही रूपवती और नृत्य में निपुण हैं। एक एकांगी प्रेम में समर्पित हैं और दूसरी अपने प्रेमी के वध के प्रतिशोध की ज्वाला में जल रही है। हिन्दी सिनेमा की चंद्रमुखी शरच्चंद्र के उपन्यास की सहनायिका है तो तमिळ सिनेमा की चंद्रमुखी मूल मलयालम चलचित्र मणिचित्रताड़ (अलंकृत ताला) की नागवल्ली का तमिळ अवतार है। नागवल्ली की भूमिका शोभना ने निभाई थी और चंद्रमुखी की ज्योतिका ने।
.
जैसे एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं वैसे ही मानों एक ही सिनेमा में दो चंद्रमुखियां नहीं रह सकती। नागवल्ली या चंद्रमुखी का रुख हिन्दी सिनेमा की ओर भी हुआ पर कहलाई वो मोंजुलिका। भूलभुलैया नाम से बनी फिल्म में विद्या बालन ने मोंजुलिका बनकर लोगों को चंद्रमुखी का रौद्र रूप दिखाया। पिछले कुछ समय उत्तर भारत में दक्षिण भारतीय फिल्मों को मिल रहे जबरदस्त प्रतिसाद से समावेशी सिनेमा का मार्ग प्रशस्त हो गया है और कंगना रणौत द्वारा अभिनीत चंद्रमुखी हिन्दी दर्शकों से फिर मिलने आई। हालांकि यह चंद्रमुखी हिन्दी दर्शकों के मन में बसी देवदास की चंद्रमुखी का सिंहासन नहीं हिला पाई। इसका श्रेय वैजयंती माला और माधुरी दीक्षित को जाता है।
.
विकीर्ण केशराशि, ललाट पर फैले कुमकुम की रक्तिमा, विस्फारित नेत्र, उन्मत्त मुस्कान और काट डालने जैसी मुद्राएं तो चंद्रमुखी के किरदार को भयावह बना ही देती हैं। साथ ही दर्शकों को डराने में जो कसर बाकी रह जाती है वह इस किरदार के अन्य भाषा बोलने से पूरी हो जाती है। नागवल्ली तमिळनाड से थी तो चन्द्रमुखी आन्ध्रप्रदेश से और मोंजुलिका बंगाल से।
.
नागवल्ली के किरदार की प्रेरणा मणिचित्रताड़ के निर्देशक मधु मुट्टम को अपने घर से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित आलुमुट्टिल मेड़ नामक निर्जन घर से मिली जिसके बारे में एक निर्मम किंवदंती थी। आलुमुट्टिल मेड़ त्रावणकोर राज्य का एक एड़वा सामंती जमींदार परिवार था। मातृसत्ता की प्रचलित और अनुसरणीय प्रथा के विरुद्ध इस घर के कारणवर (पुरुष मुखिया) ने अपनी संपत्ति अपने भांजे भांजियों के बजाय अपनी संतान के नाम कर दी है, इस अपवाद के फैलने पर उसके भांजे भांजियों ने मिलकर षडयंत्र रचा और उसकी हत्या कर दी। इस क्रम में इस घर की नौकरानी युवती, जो इस जघन्य घटना की साक्षी बन गयी थी, वह भी मारी गयी। जिस कक्ष में ये हत्याएं हुईं उसके द्वार पर आज भी एक अलंकृत ताला (मणिचित्रताड़) जड़ा हुआ है। रजतपट के मणिचित्रताड़ के नेपथ्य में जो त्रासद नायिका बिलख रही है उसका वेदना बिच्छु तिरुमला के रचे इस गीत में मुखर हो उठी है। इस गीत को राग आहिरि में लयबद्ध किया गया है जो भयानकता और दिव्यता का भाव जगाता है। कर्णप्रिय होने के बावजूद इसे मनहूस राग माना जाता है। मलयालम में इस राग के बारे में कहावत है “आहिरि पाडियाल अन्नम मुट्टुम” जिसके दो अर्थ लगाए जाते हैं कि आहिरि गाने के बाद खाना नहीं मिलेगा या आहिरी गाने के बाद भूख नहीं लगेगी।
.
.
पड़म्तमिळ पाट्टिड़युम श्रुतियिल
पड़योरु तम्बुरु तेंगी
मणिचित्रताड़िनुलिल वेरुदे
निलवर मैन मयंगि
.
एक पुराने तमिळ गीत की लय में
एक पुराना तानपूरा रो रहा था
अलंकृत ताले से बंद रहस्मय कमरे में
सो रही थी एक मैना
.
सरस सुन्दरी मणि नी
अलसमाय उरंगियो
कणवुनेयदोरात्मरागम
मिड़िगलिल पोलिञुवो
विरलिल निन्नुम वड़ुदि वीणु
विरसमाय ओर आदितालम
.
ओ सुन्दरी, क्या तुम अलसनिद्रा में थीं
जो आत्मा का गीत तुमने स्वप्न में रचा था
क्या जागने पर उसे भूल गयी हो
तुम्हारी उंगलियों से एक नीरस
आदिताल स्खलित हो गया।
.
विरह गानम विदुम्बि निल्कुम
वीणपोलुम मौनमाय
विधुरायामी वीणपूविन
इदलरिञ नोम्बरम
कन्मदिलुम कारीरुलुम
कन्डरिञा वीणगलुकल
.
विरह गीत में सिसकते हुए
वीणा भी मौन हो गयी
पंखुड़ियां ही मुरझाकर गिरे फूल की
वेदना को जानती है
उनकी आहों को पत्थर की दीवारें
और यह अंधेरा सुन रहा है।
.
कुलिरिनुल्लिल स्वयमिरंगि
कथ मेनञ पैंगिली
स्वरमुरंगुम नाविलेन्दे वरिमरन्न पल्लवी
मञुरयुम रावरयिल
मामलराय नी पोडिञु
.
अपनी बुनी कहानी में ही पंछी
स्वयं कैद होकर रह गया
और गीत की पंक्तियां भूल गया
सर्द रात की कोठरी में तुम
एक गिरा हुआ फूल थीं।
.
टिप्पणी: निलवर का अर्थ तरवाड शैली में बने केरल के घरों में मूल्यवान वस्तुओं, हथियारों, पूजा सामग्री, धान, नारियल, कटहल आदि रखने का गुप्त भण्डारगृह होता है।
Recent Comments