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हिन्दी में एक कहावत है, हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फारसी क्या। यह कहावत संभवत: तब से चली आ रही है जबसे भारत में फारसी एक प्रमुख प्राशासनिक भाषा थी। फारसी भाषा का उद्भव पहलवी भाषा से हुआ है। पहलवी और संस्कृत भगिनी भाषाएं हैं। अस्तु, हिन्दी-अंगरेजी के इस युग में अनायास ही फारसी का ज़िक्र छिड़ने की वजह है एनिमल फिल्म का गाना “जमाल कोदु“। इसका जादू दर्शकों से सिर पर वैसे ही चढ़ा हुआ है जैसे कि इस गाने पर झूमते हुए फिल्म के मूकनायक बॉबी देओल के सिर पर शराब का गिलास। इसे रचा है ईरानी शहर बन्दर ए अब्बास के इब्राहिम शाहदोस्ती ने। इसके बोल हैं:
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वै सियाह ए ज़ंगी दिलम ओ नाकोन ख़ून
हे सियाहे ज़ंगी मेरे दिल का खून मत बहाओ
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वै तो रफ्ति कोजा मनम चो मजनून
हाय तुम कहां चली गयी, मैं मजनूं जैसा हो गया हूं
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जमाल जमालेक जमालू जमाल कोदु
जमाल, नन्हें जमाल, सजीले जमाल, जिद्दी जमाल
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देल तो मख़्तक ए सीने वै अरोम नेमिशीने,
सीने के पालने के भीतर दिल को चैन नहीं है
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हेल योसे हेलेल योसा ख़ास्ते ओ नेमिख़ोसा
अरे हताश आदमी रहस्य मत पूछ, बरसात के गाने गा
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वै मरमर ए सीने बेलारज़ून बेलारज़ून बेलारज़ून
अपने संगेमरमर जैसे गोरे वक्षस्थल को कंपाओ
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आय घेरे तू कमरेत एह बेचारख़ून बेचारख़ून बेचारख़ून
अपनी कमर को घेरे में घुमाओ, घुमाओ, घुमाओ
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हिन्दीभाषी भारतीयों के लिए सीना, मरमर, दिल, कमर, ख़ून, मजनू, स्याह, जंगी, रफ्त नए शब्द नहीं हैं बल्कि ये उनकी रोज़मर्रा की बोलचाल का हिस्सा बन चुके हैं। इसलिए इस गाने के लिए हम भारतीयों के दिल तक जगह बनाना काफी आसान हो गया। इसने फारसी और हिन्दी के पुराने रिश्ते को नयी गर्माहट दे दी है। इस गाने ने सालों पहले आई लोकप्रिय फिल्म “हम हैं राही प्यार के” में जूही चावला पर फिल्माए गाने “बम्बई से गयी पूना… पूना से गयी दिल्ली “ गाने की यादें भी ताज़ा कर दीं।
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सियाहे ज़ंगी, ज़ांज़ीबार के लोगों के लिए प्रयुक्त हुआ है। फारसी लोग ज़ांज़ीबार को ज़ांगबार कहते हैं। बहुत से लोग जो मूल रूप से तंजानिया के ज़ांज़ीबार द्वीप से हैं दक्षिणी ईरान में रहते हैं और बहुत से फारसी मूल के लोग इस समय ज़ांज़ीबार में रहते हैं। यह एक गौरवर्णा ईरानी युवती और ज़ांज़ीबार के एक श्यामवर्ण अफ्रीकी ईरानी युवक का प्रणय युगलगीत है। यह हल्का फुल्का मनोरंजक गीत ईरानी और अफ्रीकी समाज के परस्पर सौहार्द्र और उनके सांस्कृतिक सम्मिश्रण का साक्ष्य भी है। हालांकि एनीमल में यह गाना उस विरोधाभास की प्रस्तावना है जिसे वैवाहिक बलात्कार कहते हैं।
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