आण्‍डाल की मनोहारी भक्‍त‍िरचना: त‍िरुप्‍पावै

Ajay Singh Rawat/ October 13, 2021

1.

मारगड़ीत्‍त‍िंगल मद‍ि न‍िरैन्‍दा नन्‍नालाल
नीराडप्‍पोदुवीर पोदुम‍िनो नेर‍िड़ैयीर
सीर मलगुम आयप्‍पाडीच्‍चेल्‍वच्‍चि‍रूमीरगाल
कूरवेल कोडुन्‍दोड़‍िलान नन्‍दगोपन कुमरन्
एरान्‍द कन्‍नी यसोदै इलम स‍िंगम
कार मेनी सेनगन कद‍िर मद‍ियम पोल मुगत्‍तान
नारायणने नमक्‍के पारै तरूवान
पारोर पुगड़ाप्‍पड‍िन्‍देलोर एम्‍पावाय ।।
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अरी सुसज्‍ज‍ित कुमार‍ियों यह मार्गशीर्ष की पूर्ण‍िमा का शुभ द‍िन है। जो यमुना में स्‍नान की इच्‍छुक हैं वे आ जाएं। व‍िशाल और समृद्ध गोकुल की सम्‍पन्‍न युवत‍ियों नारायण भगवान हमें अवश्‍य ढोल देंगे। नन्‍दगोप का पुत्र और शत्रुओं का दमन करने वाला वह सदैव अपने हाथ में एक तीक्ष्‍ण भाला धारण क‍िए रहता है। लुभावने नेत्रों वाला वह यशोदा रानी का स‍िंहशावक है। उसका मुख काले मेघ सदृश द‍िव्‍य है नयन कमल जैसे रक्‍ताभ हैं और उसका मुख सूर्य और चन्‍द्र की तरह दमकता रहता है। आओ हम उनके ल‍िए उपवास करके उनकी शरण में जाएं और यश अर्ज‍ित करें।

2.
वैयत्‍त वाड़वीरगल नामुम नमप्‍पावैक्‍क
चेय्युम क‍िर‍िसैगल केलीरो पारकडलुल
पैय्यत्‍तुय‍िन्‍र पारमण्‍ड‍ि पाडी
नेय्युनोम पालुन्‍नोम नाटकाले नीराडी
मैय‍िट्ट एड़ुन्‍दोम मलर‍िट्ट नाम मुड़‍ियोम
सेययादन सेय्योम तीकुरलैच्‍चेन्‍रोदोम
आय्मुम प‍िच्‍चैयुम आनन्‍दनयुम कै काट्टी
उय्युमारेन्‍न‍ि उगन्‍देलोर एम्‍मपावाय ।।
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अरे संसार के लोगों हमें उपवास की अवध‍ि में ज‍िस सादगी का न‍िर्वाह करना है उसे सुनो। हम क्षीरसागर में शयन करने वाले परमेश्‍वर के चरणों की वन्‍दना करेंगे। उपवास समाप्‍त होने तक घी और दूध का सेवन नहीं करेंगे। भोर के समय नदी में स्‍नान करेंगे । आंखों में काजल नहीं लगाएंगे। फूलों से अपने बाल नहीं सजाएंगे। शास्‍त्र सम्‍मत व्‍यवहार का पालन करेंगे। न‍िष‍िद्ध कर्तव्‍यों का पालन नहीं करेंगे। कटु असत्‍य नहीं बोलेंगे। मांगने वालों और न मांगने वालों को भी उदारतापूर्वक दान देंगे। हम सार्थक जीवन के लक्ष्‍य को पाने के ल‍िए सदाचार का पालन करेंगे और इस प्रकार हम एक संतोषप्रद जीवन ज‍िएंगे।

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3.

ओंग‍ि उलगलन्‍द उत्‍तमम् पेर पाडी
नांगल नाम पावैक्‍क च्‍चात्री नीराडीनाल
तींग‍िर‍िनी नाडेल्‍लाम त‍िंगल मुम मारी पेयद
ओंग पेरूम सेन्‍नेल ऊड कायलुगल्‍लप
पूंगूवलैप्‍प पोद‍िल पोरी वन्‍द कन पडुप्‍पद
तेंगाद पुक्‍क‍िर‍िन्‍द सीर्त मुलै पट्री
वांग कुडम न‍िरैक्‍कुम वल्‍लाल पेरूम् पसुक्‍कल
नींगाद सेल्‍वम् न‍िरैन्‍दैलोर एम्‍पावाय
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यद‍ि हम त्रि‍व‍िक्रम भगवान ज‍िन्‍होंने द‍िव्‍य रूप धरकर तीनों लोकों को दो चरणों में माप कर अपना तीसरा चरण राजा महाबल‍ि के स‍िर पर रख द‍िया था के पव‍ित्र नामों का जाप करेंगे और तत्‍पश्‍चात् अपने व्रतानुसार यमुना में स्‍नान करेंगे तो पूरे देश में समय पर वर्षा की तीन बौछारें पड़ेंगी और कोई सूखा या अकाल नहीं पड़ेगा। देश समृद्ध होगा। लाल धान की लम्‍बी डंठलों के बीच से मछल‍ियां तैरती हुई जाएंगी और झड़े हुए परागकणों से मधुपान करके उन्‍मत्‍त हों जाएंगी। च‍ित्‍तीदार मधुमक्‍ख‍ियां नीले कमलों के मध्‍य में शयन करेंगी। उदार दुधारू गाएं अपने स्‍तनों के स्‍पर्श मात्र से दूध के कई पात्रों को भर देंगी। इन गायों को कुशल लोग ही दुह सकेंगे। इस प्रकार संपूर्ण देश अक्षय संपदा और समृद्ध‍ि से भर जाएगा।

4.

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आड़ी मड़ैक्‍क कन्‍ना ओन्‍ड्र नी कै करवे
आड़ी उल्‍पुक्‍क मुगन्‍द कोड आर्त इर‍ि
उड़ी मुदलवन उरूवम् पोल मेय करूत्‍तुप्‍प
पाड़ीयम तोलुडैप्‍प पद्मनाभन कैय‍िल
आड़ी पोल म‍िन्‍नी वलम्‍बुरी पोल न‍िन्‍र अद‍िरन्‍द
ताड़ादे सादमुदैत्‍त सर मड़ै पोल
वाड़ा उलग‍िन‍िल पेयद‍िड़ाय नांगलुम
मारगड़ी नीराड मग‍िड़न्‍देलोर एम्‍पावाय।।

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हे वर्षा के देवता वरूण अपने वर्षा रूपी उपहार को छोटा मत रखना। हमारी प्रार्थना है क‍ि आप व‍िश्‍व में प्रचुर वर्षा करें। आप पहले गहरे समुद्र की कोख में जाकर ढेर सारा जल ले लें फ‍िर गर्जना करें और फ‍िर ऊपर जाएं। आपके शरीर का रंग व‍िश्‍व की उत्‍पत्‍त‍ि के आद‍िकारक ज‍ितना काला हो जाए आप व‍िशाल कन्‍धों वाले पद्मनाभ द्वारा धारण क‍िए गए जगमगाते चक्र की तरह ब‍िजली की चमक से व्‍याप्‍त हो जाएं। आप उनके धारण क‍िए पांचजन्‍य शंख जैसी गर्जना करें। आप उनके धनुष से होने वाली बाणों की बौछार जैसी प्रचुर अनवरत वर्षा लेकर आएं। आपकी वर्षा जगत के कल्‍याण के ल‍िए हो ताकि‍ व‍िश्‍व फले फूले और आपकी वर्षा के माध्‍यम से हमें प्रचुर जल म‍िले और हम मार्गशीर्ष में स्‍नान की रीत‍ि का सुखपूर्वक न‍िर्वाह कर सकें।
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5.
मायानै मन्‍न वाडा मदुरै मैन्‍दनै
त्‍तूय पेर नीर यमुनैत्‍तुरैवनै
आयार कुलत्‍त‍िन‍िल तोण्‍ड्रुम अन‍ि व‍िलक्‍कैद
तायैक्‍कुडल व‍िलक्‍कम सेयद दामोदरनै
त्‍तूमाय वन्‍द नाम तूमालार तूवी तोड़द
वाय‍िनाल पाडी मनत्‍त‍िनाल स‍िन्‍द‍िक्‍क
प्‍पोय प‍िडैयुम पुगुदरूवान न‍िन्‍रनवुम
तीय‍िन‍िल तूसागुम चेप्‍पेलोर एम्‍मपावाय ।।
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वह रहस्‍मयी भगवान वह युवा साहसी भगवना जो उत्‍तर मथुरा में पैदा हुआ जो यमुना नदी के पव‍ित्र जल में केल‍ि करता है वह मरकत मणि‍ की तरह जगमगाता द‍ीपक जो गोपालकों की जात‍ि में से उद‍ित हुआ पेट पर रस्‍सी से बांधा गया वह दामोदर ज‍िसने अपनी मां यशोदा की कोख को प्रकाश‍ित क‍िया। आओ हम न‍िष्‍ठापूर्वक उनकी पूजा करें ताजा और सुगंध‍ित फूलों से उनकी अर्चना करें उनकी आज्ञा का पालन करें ……. उनकी ख्‍यात‍ि से उनके गुण गाएं उनका ध्‍यान करें। यद‍ि हम ऐसा करेंगे तो हमारे अतीत वर्तमान और भव‍िष्‍य के पाप अग्‍न‍ि में डाले गए त‍िनके की तरह भस्‍म हो जाएंगे। इसल‍िए आओ उनका यशोगान करें।
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6.
पुल्‍लुम स‍िलम्‍ब‍िना कान पुल्‍लरैयान कोय‍िल‍िल
वेल्‍लै व‍िल‍ि संग‍िन पेरारवम केट्ट‍िलैयो
प‍िल्‍लाय एड़ुन्‍द‍िराय पेय मुलै नानचुन्‍डु
कल्‍लच्‍चकटम कलक्‍कड़ीयक्‍कालोच्‍च‍ि
वेल्‍लत्‍तरव‍िल तूय‍िलमरन्‍द व‍ित्‍त‍िनै
उल्‍लददकोण्‍ड मुन‍िवर्गलुम योग‍िगलुम
मेल्‍ल एड़़ुन्‍द अर‍ि एन्‍र पेरारवम
उल्‍लम पुगुन्‍द कुल‍िरन्‍देलोर एम्‍मपावाय ।।
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अरी युवत‍ि जाग पक्षी भी जग चुके हैं और चहचहाकर उषाकाल के आगमन का संदेश दे रहे हैं। क्‍या तुम्‍हें द‍िव्‍य गरूड़ की सवारी करने वाले हमारे स्‍वामी के मंद‍िर में बजने वाले श्‍वेत शंख के बजने की पव‍ि‍त्र ध्‍वन‍ि नहीं सुनाई दे रही है। अरी युवत‍ि जाग। योगी और साधुजन …….. हमारे महान भगवान की अद्भुत लीलाओं का गान करते हैं जैसे क‍ि:
दुष्‍ट पूतना के व‍िषाक्‍त स्‍तनों का पान करके उसके प्राण हर ल‍िए। अपने नन्‍हें पांव के अंगूठे की एक फुर्ती भरी ठोकर से गाड़ी का रूप धरकर आए एक चालाक असुर की धज्ज‍ियां उड़ा द‍ी। वह हमारे भगवान इस सृष्‍टि‍ के रचय‍िता हैं। वे क्षीरसागर में शेषनाग की शय्या पर योगन‍िद्रा में सोते हैं। योगी और साधु धीरे धीरे अपने ध्‍यान से न‍िकलकर हर‍ि भगवान के नाम का सात बार जोर जोर से उच्‍चारण कर रहे हैं। उस हर‍िनाम के उच्‍चारण का आरोह मेघों के गर्जन की तरह गुंजायमान हो रहा है और हमारे हृदय में प्रव‍ि‍ष्‍ट होकर हमें प्रसन्‍न कर रहा है। क्‍या वह ….. आरवम् तुम्‍हारे हृदय में भी प्रवेश नहीं कर रहा है अरी युवत‍ि जागो और हमारे साथ उपवास करो।

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7.
कीसू कीसू एन्‍र एंगुम आनैच्‍चात्‍तान कलन्‍द
पेस‍िना पेच्‍चारवम केट्ट‍िलैयो पेयप्‍पेन्‍ने
कासुम प‍िरप्‍पुम कलकलप्‍पाक्‍कै पेरत्‍त
वास नारूम कुड़ल आयच्‍च‍ियर मात्‍त‍िनाल
ओसै पडुत्‍त तैरारवम केट्ट‍िलैयो
नायगप्‍पेन प‍िल्‍लाय नारायनन मूरत्‍त‍ि
केसवनै पाडवुम नी केट्ट क‍िडैत्‍ति‍यो
देसमुदैयाय त‍िरवैल्‍लोर एम्‍मपावाय ।।

अरी मतवाली प्रमादवाली क्‍या तुम्‍हें भारद्वाज पक्ष‍ियों का शोर नहीं सुनाई देता। क्‍या तुम्‍हें अपने शयनकक्ष के बाहर चहचहाते हुए इन पक्ष‍ियों का अव्‍यक्‍त मधुर कूजन नहीं सुनाई देता। भोर व‍िकसि‍त हो रही है। तुम्‍हारे आस पास के लोग भी जग रहे हैं। क्‍या तुम्‍हें गोप‍ियों के मन्‍थन दंड से दही मथने की आवाज नहीं सुनाई दे रही। इन गोप‍ियों की देह के कंपन से उनके संवारे गए बालों की लटों में लगे फूलों की सुगंध फैल रही है। मंथन में व्‍यस्‍त होने से उनके हाथों के कंगन और कंठ के आभूषण परस्‍पर घर्षण से मंगल नाद उत्‍पन्‍न करते हैं। क्‍या तुम्‍हें यह मंगल ध्‍वन‍ि नहीं सुनाई देती। क्‍या तुम भोर के शांत समय में मंथन दंड से दही के ब‍िलोने की आवाज से नहीं जगी। अश्‍व का रूप धरने वाले असुर केशी का नाश करने वाले भगवान केशव की हमारी स्‍तुत‍ि सुनकर भी तुम कैसे इतनी उदासीन रहकर सो सकती हो। कृपया जागो। आकर दरवाजा खोलो ताक‍ि हम तुम्‍हारे साथ म‍िलकर अपने भगवान की मह‍िमा का गान कर सकें।

8.
कीड़ वानम वेल्‍लेन्‍र एरूमै स‍िरू वीडु
मेयवान पारान्‍दना कान म‍िक्‍कुला प‍िल्‍लैगलुम
पूवान पोग‍िनराराई प्‍पोगामल कात्‍तद उन्‍नै
क्‍कूवूवान वन्‍द न‍िन्‍रोम कोदुगलाम उड‍ैय
पावाय एड़ुन्‍दिराय पाड‍िप्‍पराइ कोण्‍ड
मावाय प‍िलन्‍दानाय मल्‍लरै माट्ट‍िया
देवाद‍ि देवनैच्‍चेन्‍र नाम सेव‍ित्‍ताल
आवावेन्‍र आरायन्‍द अरूलेयोर एम्‍पावाय ।।

अरी ईश्‍वर के प्रत‍ि कौतुहल से भरी सुन्‍दरी भोर होने वाली है क्‍योंक‍ि पूर्वी आकाश में अरूणोदय की लाल‍िमा छा गयी है। भूखी भैंसें अपने घरों के समीप स्‍थ‍ित चरागाहों में ओस से भीगी घास चरने के लि‍ए ले जाई जा रही हैं। हमने व्रतस्‍थल की ओर जाती हुई दूसरी गोप‍ियों को भी रोक द‍िया ताक‍ि तुम हम सब के साथ चलो। जल्‍दी उठो। यद‍ि हम अपने प्रभु का यशोगान करेंगी तो वे हमें व्रत मनाने के ल‍िए व्रत के उपकरण ढोल और दूसरी सामग्रि‍यां देंगे। जब हम अपने भगवान के पास पहुंचते हैं ज‍िन्‍होंने असुर केशी का मुख चीरकर उसका वध क‍िया था और कंस के दरबार के पहलवानों को मार डाला और उनके सामने व‍िनम्रतापूर्वक झुकते हैं तो वे देवाध‍िदेव दया से प‍िघल जाएंगे और बड़ी रूच‍ि से हमारा योगक्षेम जानेंगे।

9.
तूमानी माडत्‍त सुट्रुम व‍िलक्‍केर‍ियत्‍त
तूपम कामाड़त्‍त तुल‍ियनैमै कन वलरूम
मामान मगले मन‍िक्‍कदवम् ताड़ त‍िरावाय
मामीर अवलै एड़ुप्‍पीरो उन मगल दान
ऊमैयो अन्‍र‍ि सेव‍िडो अनन्‍तालो
इमाप्‍पेन्‍रून तुय‍िल मन्‍द‍िराप्‍पट्टालो
मामायान माधवन वैकुन्‍दन एन्‍रेन्‍र
नामान पलवुम नव‍िन्‍रेयोर एम्‍पावाय ।।
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श्रीव्रत का पालन करने वाली ग्‍वाल‍िनें दूसरी कुमारी को जगाती हैं जो प्रभु की भक्‍त‍ि में ………। अरी बहन तुम कोमल शय्या पर व‍िश्राम करती हुई सो रही हो जबक‍ि अगरु की सुगंध से व्‍याप्‍त तुम्‍हारे घर के जगमगाते रत्‍नजड़‍ित आंगन में सर्वत्र दीप जले हुए हैं। उठो और अपने कक्षों के चमकते रत्‍नजड़‍ित दरवाजों की अर्गला खोलो। अरी मामी क्‍या आप अपनी बेटी को जगाओगी। क्‍या वह मूक अथवा बध‍िर अथवा थकी हुयी है। क्‍या उसे देर तक सोते रहने का श्राप म‍िला है। उसे इस सम्‍मोहक न‍िद्रा से जगाने के ल‍िए न‍िवारण के रूप में आओ भगवान के अनेक नामों का उच्‍चारण करें जैसे महामायन माधवन और वैकुण्‍ठन।

10.
नोट्रच्‍चुवर्क्‍कम पुगुग‍िन्‍रा अम्‍मानाय !
नाट्रत्‍तुड़ाय मुड‍ि नारायनन नम्‍माल
पोट्रप्‍पारै तरूम पुन्‍न‍ियानाल पन्‍ड ओरू नाल
कुट्रत्‍त‍िन वाय व‍िड़न्‍द कुम्‍बकर्णनुम
तोट्रुम् उनक्‍क पेरून्‍दुय‍िल तान तन्‍दानो
आट्र आनन्‍दाल उडैयाय अरूंगलामे
तेट्रमाय वन्‍द त‍िरवैलोर एम्‍पावाय ।।

अरी कन्‍याव्रत का पालन करके स्‍वर्ग प्राप्‍त‍ि का आत्‍मव‍िश्‍वास रखने वाली प्‍यारी क्‍या द्वार नहीं खोलना और हमारी पुकार का उत्‍तर तक नहीं देना तुम्हारी रीति‍ है। उसे सुनाते हुए गोप‍ियां कहती हैं यद‍ि हम भगवान नारायण के शीश पर तुलसी की माला सजाकर उनका प्रशस्‍त‍िगान करेंगी तो वे न‍िश्‍च‍ित ही हमारे व्रत के ल‍िए अपना ढ़ोल देंगे। क्‍या उस कुम्भकर्ण ने ज‍िसे अपनी युवावस्‍था में भगवान रामचन्‍द्र ने इतना उछाला क‍ि उसकी मृत्‍यु हो गयी उसने न‍िद्रा की स्‍पर्धा में तुमसे पराजय के बाद अपनी दीर्घ न‍िद्रा तुम्‍हें दे दी है अरी न‍िद्रा में उन्‍मत्‍त बाल‍िके तुम फ‍िर भी हमारे समूह का बहुमूल्‍य अलंकार हो। इसल‍िए कृपया उठो और पव‍ित्र मन से द्वार खोलो।
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11.
कट्रक्‍करवैक्‍कनंगल पल करन्‍द
सेट्रार त‍िरलड़ियच्‍चेन्‍र सेरच्‍चेय्युम
कुट्रम ओन्र‍िल्‍लाद कोवलर्थम पोरकोड‍िये
प़ुट्र अरव अल्‍कुल पुनमय‍िले पोदराय
सुट्रद तोड़‍िमार ऐल्‍लारूम वन्‍द न‍िन
मुट्रम पुगन्‍द मुग‍िल वन्‍नन पेर पाड
स‍िट्रादे पेसादे सेल्‍व पेन्‍डाट्ट‍ि नी
एट्रक्‍क उरंगुम पोरूलैलौर एम्‍पावाय।।
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अरी सुनहरी लता जैसी सुंदरी! तुम उन ग्‍वालों के मध्‍य एक आभूषण हो जो एक ही बार में कई दुधारू गायों के समूहों को दुह लेते हैं, जो युद्ध करने में कुशल हैं। तुम पूरी तरह बेदाग हो। अरी काले नाग के फन जैसे न‍ितंबो वाली मयूर जैसी सुंदरी! तुम आओ और हमारे दल में सम्‍म‍िल‍ित हो जाओ। जब हम लोग अर्थात् तुम्‍हारे संबधी और सख‍ियां तुम्‍हारे घर के आंगन में एकत्र‍ित होकर घनश्‍याम के नामों को समवेत स्‍वर में गा रहे हैं तब तुम भला ह‍िले डुले ब‍िना गहरी नींद में क्‍यों सो रही हो। बताओ ओ प्‍यारी धनी कन्‍या।
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12
कनैत्‍त इलम कट्रेरूमै कन्‍रूक्‍क इरंग‍ि
न‍िनैत्‍त मुलै वड़‍िये न‍िन्‍र पाल सोर
ननैत्‍त इल्‍लम सेराक्‍कुम नर चेल्‍वन तंगाय
पन‍ित्‍तलै वीड़ न‍िन वासर कडै पट्रि‍
च‍िनत्‍त‍िनाल तेन इलंगैक्‍कोमानैस्‍सेट्र
मनत्‍तुक्‍क इनि‍यानैप्‍पाडवुम नी वाय त‍िरवाय
इन‍ित्‍तान एलुन्‍द‍िराय इद‍िन्‍न पेर उरक्‍कम
अनैत्‍त इल्‍लत्‍तारूम अर‍िन्‍देलोर एम्‍पावाय ।।
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अरे धनी ग्‍वाले की छोटी बहन! ज‍िसका घर अपने बछड़े के बारे में सोचती हुई ब‍िना दुही भैंसों के थनों से र‍िसने वाले प्रचुर दूध के कारण कीचड़युक्‍त हो गया है। हम अपने स‍िर पर ग‍िरती ओस की परवाह क‍िए ब‍िना लंकापत‍ि का वध करने वाले भगवान राम की कीर्त‍ि का जी भर कर गान करते हुए तुम्‍हारे द्वार तक आए हैं। तुम अपना मुंह नहीं खोलती हो और हमें कोई प्रत‍िक्र‍िया नहीं देती हो। कम से कम उठ तो जाओ। अब तक क्‍यों सो रही हो? दूसरे सभी घरों में लोग कबके जग चुके हैं।
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13
पुल्‍ल‍िन वाय कीन्‍डानैप्‍पोल्‍ला आरक्‍कन्‍नै
क‍िल्‍ल‍िकलैन्‍दानै कीर्त‍िमयी पाडीप्‍पोय
प‍िल्‍लैगल एल्‍लारूम पावैक्‍कलम्‍बुक्‍कार
वेल्‍ल‍ि एड़ुन्‍दु व‍ियाड़म उरंग‍िट्र
पुल्‍लुम स‍िलम्‍ब‍िन कान पोदर‍िक्कन्‍न‍िनाय
कुल्‍लकुल‍िरक्‍कुडैन्‍द नीराडादे
पल्‍लीक्‍क‍िडत्‍त‍ियो! पावाय! नी नान नालाल
कल्‍लम तव‍िरन्‍द कलन्‍देलोर एम्‍पावाय।।
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व्रतधार‍िणी गोप‍ियां प्राय अलग थलग रहने वाली न‍िद्रा में लीन गोप‍ी को जगाते हुए कहती हैं। हमारी सभी सख‍ियां प्रार्थना सभा के ल‍िए न‍िर्धार‍ित स्‍थल पर पहुंच गयी हैं। वे उन कृष्‍ण का प्रशस्‍त‍िगान करते हुए पहुंची ज‍िन्‍होंने बकासुर का मुख चीर द‍िया था और ज‍िन्‍होंने अपने राम के अवतार में व‍िश्‍वासघाती राक्षस रावण के दसों शीश काट कर उसका नाश कर द‍िया था। शुक्र ग्रह उद‍ित हो चुका है और बृहस्पति ग्रह अस्‍त हो चुका है। उठो बहुत से पंछी उठ चुके हैं और चहचहा रहे हैं। अरी पुष्‍प जैसी सुंदर मृगनयनी हम सब को नदी में जाकर कंपा देने वाले जल में डुबकी लगानी चाह‍िए। इसके स्‍थान पर तुम शय्या पर लेटी समय नष्‍ट कर रही हो क्‍या यह उच‍ित है। अरी प्‍यारी यह सचमुच हमारे ल‍िए महान द‍िन है। कृपया अपनी उदासीनता त्‍यागो और उन्‍मुक्‍त होकर हमारे साथ आ म‍िलो।
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14
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उंगल पुड़क्‍कडैत्‍तोट्टद्द वाव‍ियुल
सेनगड़ुन‍ीर वाय नेग‍िड़न्‍द आम्‍बल वाय कुम्‍ब‍िना कान
सेन्‍गार पोडीक्‍कूरै वेन्‍बल तवत्‍तवर
तंगल त‍िरूक्‍कोय‍िल संग‍िडुवान पोदन्‍रार
एंगलै मुन्‍नम एड़ुप्‍पुवान वायपेसुम
नंगाय एड़ुन्‍द‍िराय नानादाय नावुडैयाय
संगोड चक्‍करम एन्‍दुम तडक्‍कैयन
पन्‍गयकन्‍नानै पाडेलोर एम्‍पावाय।
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गोपी दूसरी दलनेत्री गोपी को जगाती हैं। पहले ही भोर हो चुकी है क्‍योंक‍ि लाल कमल ख‍िल गए हैं और तुम्‍हारे प‍िछवाड़े के आंगन में आम्‍बाल पुष्‍पों की कल‍ियां बंद हो चुकी हैं। गेरूए वस्‍त्र धारण क‍िए हुए सफेद दांतो वाले मुन‍ियों ने शंख बजाने के ल‍िए अपने पव‍ित्र मंद‍िरों में जाना आरंभ कर द‍िया है। अरी सखी लोग कहते थे क‍ि तुमने तो कल शेखी बघारी थी क‍ि पहले तुम आकर हमें जगाओगी। अब कृपया जग जाओ। तुम लज्‍ज‍ित नहीं हो बल्‍क‍ि गप्‍पी हो। आओ कमलनयन भगवान का कीर्त‍िगान करें और सभी भगवानों में उनकी श्रेष्‍ठता की चर्चा करें।
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15
एल्‍ले. इलम क‍िल‍िये इन्‍नम उरंगुद‍ियो
च‍िल एन्‍र अड़ैयेन म‍िन नंगैयीर पोदरूग‍िन्‍रेन
वल्‍लै उन कट्टुरैगल पन्‍डे उन वाय अर‍िदुम
वल्‍लीरगल नींगले नाने दान आयीड़ुग
ओल्‍लै नी पोदाय उनकैन्‍न वेरूडैयै
एल्‍लारूम पोन्‍दारो पोन्‍दार पोन्‍द एन‍िक्‍कोल
वल आनै कोन्‍रानै माट्राराय माट्रड़‍िक्‍क
वल्‍लानै मायनै प्‍पाडेलोर एम्‍पावाय।।
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देहरी पर खड़ी गोप‍ियां: अरी तोते जैसी सुन्‍दरी क्‍या तुम अब भी गहरी नींद में सोयी हो
घर के भीतर गोपी: मुझे कर्कश स्‍वर में मत बुलाओ अरे ऊंचे कुल की स्‍त्र‍ियों मैं अभी आती हूं।
बाहर खड़ा दल: तुम अच्‍छी तरह बात करती हो। हम तुम्‍हारे वाक्‍कौशल को पहले से जानती हैं।
घर के भीतर से गोपी: शब्‍दों से लड़ने में तुम बलशाली हो। कोई बात नहीं मुझे कर्कश ही बनी रहने दो। मुझे मेरी कर्कशता के ल‍िए क्षमा करो।
बाहर खड़ा दल: जल्‍दी आओ और हमसे मि‍लो। हमसे अलग रहकर तुम और क‍िसके साथ लगी हुई हो।
घर के भीतर से गोपी: क्‍या हमारी सभी सख‍ियां पहले से ही आ चुकी हैं।
बाहर खड़ा दल: हां वे आ गई हैं। क्‍या तुम बाहर आकर स्‍वयं ग‍िनोगी। हम तुम्‍हें उस भगवान का यशोगान करती हुई सुनना चाहती हैं ज‍िन्‍होंने कंस के हाथी कुवलयापीड़ को मार डाला और जो अपने शत्रुओं की शत्रुता को नष्‍ट करने में बहुत शक्‍त‍िशाली हैं।

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16.
नायगनाय न‍िन्‍र नन्‍दगोपन उडैय
कोय‍िल कप्‍पाने! कोड‍ि तोन्‍रूम तोराना
वाय‍िल काप्‍पाने! मन‍िक्‍कदवम् ताल त‍िरवाय
आयर स‍िरूम‍ियारोमुक्‍क अरै परै
मायन मन‍ि वन्‍नम् नेन्‍नाले वाय नेरन्‍दान
तूयोमाय वन्‍दोम तुय‍िल एड़पाडुवान
वायाल मुन्‍नम् मुन्‍नम् माट्रादे अम्‍मा! नी
नेय न‍िलैक्‍कदवम् नीक्‍केलोर एम्‍पावाय।।
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अरे हमारे भगवान नन्‍दगोपन के महल के प्रवेशद्वार के प्रहरी अरे तोरण से सजे ध्‍वजादंड वाले प्रहरी मेरी कामना है क‍ि आप घंट‍ियों वाले अलंकृत द्वारों की कुंडियां खोलें। भगवान श्रीकृष्‍ण जो क‍ि नीले रंग की मण‍ि जैसे वर्ण के कारण बहुत आकर्षक लगते हैं और जो रहस्‍यमय कार्य करते हैं उन्‍होंने हम गोकुल की गोप‍ियों को नगाड़े देने का आश्‍वासन द‍िया है। हम जो क‍ि हृदय और आत्‍मा से पव‍ित्र हैं भगवान का गुणगान करने और उन्‍हें जगाने आए हैं। अरे मां जैसे संवेदनशील प्रहरी पहली बार मना क‍िए ब‍िना दानवों जैसे भारी द्वार खोलकर हमें प्रवेश करने दो।
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17
अम्‍बरमे तन्‍नीरे सोरे अरम सेय्युम्
एम्‍बेरूमान नन्‍दगोपाला एड़ुन्‍दि‍राय
कोम्‍बानारक्‍क एल्‍लाम कोड़ुन्‍दे कुल व‍िलक्‍के
एम्‍बेरूमाट्ट‍ि यसोदाय अर‍िवुराय
अम्‍बरम् ऊड अरूत्‍त ओंग‍ि उलग अलन्‍द
उम्‍बर कोमाने उरंगाद एड़ुन्‍द‍िराय
सेम पोर कड़लड‍िच्‍चेलवा बलदेवा
उम्‍ब‍ियुम नीयुम उरंगेलोर एम्‍पावाय।।
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हे राजा नन्‍दगोप हमारे पालक और कई वस्‍त्र प्रचुर जल और प्रचुर भोजन देने में दानशीलता के ल‍िए प्रस‍िद्ध कृपया उठ‍िए । हे महारानी यशोदा महान चर‍ित्र वाली स्‍त्र‍ियों में श्रेष्‍ठ वंजी कोम्‍ब जैसी तनु और न‍िश्‍चल । हे देवी जो क‍ि समूची स्‍त्री जात‍ि के ल‍िए मशाल के प्रकाश की तरह है कृपया जागो। हे देवों के राजा ज‍िसने व‍िशाल आकार धारण कर अंतर‍िक्ष को भेद द‍िया और दो चरणों में समस्‍त लोकों को नाप ल‍िया। कृपया नींद को त्‍याग कर उठ जाइए। हे वीरों की स्‍वर्ण क‍िंक‍िनी धारण करने वाले राजकुमार बलदेव आपका छोटा भाई और आप अध‍िक देर तक सोए ब‍िना उठ जाएं।

18
उन्‍द मद कल‍िट्रान ओडाद तोल वल‍ियान
नन्‍दगोपन मरूमगले नाप्‍प‍िनाय
कन्‍दम् कामड़ुम् कुड़ली कड़ै त‍िरवाय
वन्‍द एंगुम् कोड़ी अड़ैत्‍तान कान माधवी
पन्‍दाल मेल पल काल कुल‍िय‍िनन्‍गल कूव‍िना कान
पन्‍द आर व‍िरल‍ि उन मैत्‍तुनन पेर पाडाच्‍च
सेन्‍तामरायक्‍कैयाल सीरार वलै ओल‍िप्‍पा
वन्‍द त‍िरवाय मगि‍ड़न्‍देलोर एम्‍पावाय ।।
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हे नन्‍दगाोप की पुत्रवधू जो गज की तरह गर्वयुक्‍त गमन करने वाले हैं और जो अपने अजेय शक्‍त‍िशाली और व‍िशाल कंधों के ल‍िए जाने जाते हैं। हे मोहने वाली सुगंध‍ित काली लटों वाली नाप्‍प‍िनै । कृपया अपना द्वार खोलो । सुनो सभी जगह मुर्गे जग गए हैं और शोर करने लगे हैं। सुनो यहां तक की कोयल का समूह भी माधवी कुरुकत्‍त‍ि के फूलों की डाली पर बैठकर कई बार कोमल स्‍वर में कूक चुका है। हे युवती खेलने वाली गेंद को भोग के उपकरण की भांत‍ि अपने हाथ में पकड़े हुए हम आपके स्‍वामी का गुणगान करना चाहते हैं इसल‍िए कृपया आनंदपूर्वक आकर लाल कमल जैसे कोमल अपने हाथों से द्वार खोलो जो द्वार तुम्‍हारे हाथों की शोभा बढ़ाने वाले कंगनों के द्वारा मधुर ध्‍वन‍ि उत्‍पन्‍न करते हैं। यह प्रस‍िद्ध पासुरम है जो आचार्य रामानुज की मूर्च्‍छा से जुड़ा है जब उन्होंने अपने आचार्य की पुत्री अत्‍तुड़ै को नाप्‍प‍िनै के साथ पहचान ल‍िया जब अत्‍तुड़ै ने रामानुज को भि‍क्षा देने के ल‍िए खनकते हुए कंगनों से द्वार खोले।

19
कुत्‍त व‍िलक्‍केर‍िय कोट्टकाल कट्ट‍िल मेल
मेत्‍तेन्‍र पंच सायन्‍त‍िन मेल एर‍िक्‍क
कोत्‍तालार पूंगुड़ल नप्‍प‍िनै कोंगै मेल
वैत्‍त क‍िडन्‍द मलर मारबा वाय त‍िरवाय
मैत्‍तडम् कन्‍न‍िनाय नी उन मनालनै
एत्‍तनै पोदुम् तुय‍िलेड़ ओट्टाय कान
एत्‍तनैयेलुम् प‍िर‍िव आट्रग‍िल्‍लायाल
तत्‍वम् आन्‍र तगवेल्‍लोर एम्‍पावाय ।।
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युवा गोप‍ियां द‍िव्‍य दम्‍पत‍ि नप्‍प‍िनै प‍िरट्टी और भगवान कृष्‍ण को जगाने का प्रयास करती हैं। पार्श्‍व में दीपों का समूह जगमगा रहा है हे भगवान कृष्‍ण आप हाथी दांत के बने पलंग पर बहुत कोमल शैय्या पर लेटे हैं। आपका व‍िशाल वक्षस्‍थल श्री नप्‍प‍िनै के वक्षस्‍थल पर व‍िश्राम कर रहा है ज‍िसके केश व‍िकस‍ित पुष्‍प के गुच्‍छों से सजे हैं। हे कृष्‍ण यद‍ि आप जगने में समर्थ न भी हों आप कम से कम अपना मुंह तो खोल‍िए। अब नप्‍प‍िनै की ओर उन्‍मुख होकर गोप‍ियां कहती हैं हे व‍िशाल कजरारे काले नयनों वाली युवत‍ि हमें लगता है क‍ि तुम हमारे स्‍वामी को देर होने पर भी या क‍िसी भी समय पर जगने नहीं दोगी क्‍योंक‍ि तुम जरा भी देर उनसे ब‍िछोह को सह नहीं सकती हो। हांलाक‍ि हे युवत‍ि प्रभु को स‍िर्फ अपने ल‍िए रखना तुम्‍हारे ल‍िए न्‍यायोच‍ित नहीं है और न ही तुम्‍हारे असीम दयाभाव को शोभा देता है।

20
मुपत्‍त मूवर अमररक्‍क मुन सेन्‍र
कप्‍पम् तव‍िरक्‍कुम् कल‍िये तुय‍िल एड़ाय
सेप्‍पम् उड़ैयाय त‍िरल उडैयाय सेट्रारक्‍क
वेप्‍पम् कोडुक्‍कुम व‍िमला तुय‍िल एड़ाय
सेप्‍पेन्‍ना मेन मुलैच्‍चेवाय च‍िरू मरूंगुल
नाप‍िन्‍नै नांगाय त‍िरूवे तुय‍िल एड़ाय
उक्‍कमुम् तट्टोल‍ियुम् तन्‍द उन् मानालनै
इप्‍पोदे एम्‍मै नीराट्टेल्‍लोर एम्‍पावाय ।।
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हे पराक्रमी भगवान जो तैंतीस देवताओं की ओर से युद्ध करके और युद्ध में उनके आगे रहकर उनके कंपन को दूर करते हैं कृपया नींद से जग जाइए। हे भगवान ज‍िन्‍हें हमारी सुरक्षा का ध्‍यान रहता है और जो प्रचुर शक्‍त‍ि और पराक्रम से पूरी तरह सज्‍ज‍ित हैं। हे न‍िष्‍कलंक और पव‍ित्र भगवान जो अपने शत्रुओं को शौर्य से जीतते हैं कृपया जाग जाइए। हे महान नारी नप्‍प‍िन्‍नै सुंदर आकृत‍ि वाली कलश जैसे मृदु वक्षस्‍थल वाली ज‍िनके अधरोष्‍ठ गुलाबी और कमर पतली है। हे देवी लक्षमी के साकार रूप वाली कृपया जग जाइए। आप हमें पंखा दर्पण और अपने स्‍वामी को दे दीज‍िए और इस समय हमें स्‍नान करने में हमारी सहायता करें।

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21.
एट्र कालंगल एद‍िर पोंग‍ि मीदल‍िप्‍प
माट्रादे पाल सोर‍ियुम वल्‍लल पेरूम पसुक्‍कल
आट्रप्‍पडैत्‍तान मगने अर‍िवराय
ऊट्रम् उडैयाय पेर‍ियाय उलग‍िन‍िल
तोट्रमाय न‍िन्‍र सुडरे तुय‍िल एड़ाय
माट्रार उनक्‍क वली तोलैन्‍द उन वासर कन
आट्राद वन्‍द उन अड‍ि पान‍ियुमा पोले
पोट्रि‍याम वन्‍दोम पुगड़न्‍देलोर एम्‍पावाय ।।
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हे भगवन कृपया उठ जाइए आप नन्‍दगोपन के पुत्र हैं जो असंख्‍य उदार और बड़ी गायों के स्‍वामी हैं जो अपने स्‍तनों के नीचे रखे बरतन में न‍िरंतर प्रचुर दूध प्रवाह‍ित करती हैं ज‍िससे यह बरतन झट से भर जाते हैं और छलकने लगते हैं। हे भगवन जो हमसे बहुत लगाव रखते हैं हे परमेश्‍वर हे इस संसार में उद‍ित हुए भासमान आलोक की क‍िरणरण कृपया जग जाइए। ज‍िस प्रकार आपके शत्रु आपके घर पर आ धमकते हैं उसी प्रकार हम आपके घर के सम्‍मुख आ धमके हैं आपका प्रशस्‍त‍ि गान करते हुए और आपकी महानता की घोषणा करते हुए। कृपया हमारी प्रार्थनापूर्ण व‍िनती सुन‍िए।

22
आम कन मा ञालद्द अरसर अब‍िमाना
पंगमाय वन्‍द न‍िन पल्‍ल‍िक्‍कट्ट‍ीर कीड़े
संगम इरप्‍पार पोल वन्‍द तलैप्‍पेयदोम
क‍िंग‍िन‍ि वायच्‍चेयदा तामरैप्‍पूपोले
सेनगन च‍िरुच्‍च‍िर‍िदे एम्‍मेल व‍िड़‍ियावो
त‍िंगलुम आद‍ित्‍तनुम् एड़ुन्‍दार पोल
आम कन इरण्‍डुम् कोन्‍ड एंगल मेल नोक्‍क‍ुद‍ियेल
एंगल मेल साबम् इड़‍िन्‍देलोर एम्‍पावाय ।।

सम्राट के समक्ष आत्‍मसमर्पण करने वाले राजाओं की दशा से व्‍यथ‍ित युवत‍ियां सर्वशक्‍त‍िमान प्रभु से प्रार्थना करती हैं। हे भगवान जैसे इस व‍िशाल सुंदर धरती के राजा जो अपना दंभ और आत्‍मप्रत‍िष्‍ठा त्‍यागकर बड़े समूह में आपके पलंग के पाये के पास रहकर ही संतुष्‍ट रहते हैं वैसे ही हम आपके पास आए हैं। हे भगवान क्‍या आप अपने अधख‍िले कमल सरीखे कोमल और न‍िराले नयन जो क‍ि छोटी घंट‍ियों से लगते हैं उन्‍हें धीरे धीरे खोलकर हमें नहीं देखेंगे। यद‍ि आप उदीयमान सूर्य और चन्‍द्र जैसे नयनयुगल से हमें देखेंगे तो हम अपने प‍िछले, वर्तमान और अगले पापों से मुक्‍त हो जाएंगें।
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23
मारी मलै मुड़ैन्‍च‍िल मन्‍नीक्‍क‍िडन्‍द उरंगुम्
सीर‍िय स‍िंगम् अर‍िवुट्र ती व‍िड़‍ित्‍तु
वेर‍ि मय‍िर पोंग एप्‍पाड़ुम् पेरन्‍द उदरि
मूरी न‍िम‍िरन्‍द मुड़न्‍ग‍िप्‍पुरप्‍पडुप्‍प
पोदरूमा पोले नी पूवैप्‍पू वन्‍ना उन
कोय‍िल न‍िन्‍र इंगने पोन्‍दरुल‍िक्‍कोप्‍पुडैय
सीर‍ीय स‍िंगासनत्‍त इरन्‍द याम वन्‍दा
कार‍ियम् आरायन्‍द अरूलेलोर एम्‍पावाय ।।
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युवत‍िजनों के शब्‍दों में आण्‍डाल वर्णन करती है क‍ि भगवान को अपने कक्ष से कैसे वैभवपूर्वक न‍िकलना चाह‍िए। एक रौबीला स‍िंह जो वर्षा ऋतु में पर्वत की एक गुफा में स‍िमटकर सो रहा है और जगने पर अपनी जलती हुई आंखें खोलता है, सीधे खड़े होकर अपने सुगंध‍ित अयाल की लटों को मापता है, स्‍वयं को ह‍िलाता है, शान से खड़ा होता है और जोर से दहाड़ता हुआ गुफा के बाहर आता है। इसी प्रकार कायम्‍पू अंजन पुष्‍प जैसे आकर्षक नीले रंग वाले आप अपने पव‍ित्र मंद‍िर से न‍िकलकर इस रास्‍ते आएं और अपने दर्शन से हमें अनुग्रहीत करते हुए अपने स‍िंहासन पर व‍िराजमान हों और हमारे आने और आपको जगाने का उद्देश्‍य जानने की कृपा करें।

24

अन्‍रू इव्‍वुलगम् अलन्‍दाय अड‍ि पोट्रि
सेनरंगुत्‍तेन इलंगै सेट्राय त‍िरल पोट्रि
पोन्‍राच्‍चकटम् उदैत्‍ताय पुग‍ड़ पोट्रि
कन्‍रू कुन‍िल आवेर‍िन्‍दाय कड़ल पोट्रि
कुन्‍रू कुडैयाय एड़ुत्‍ताय गुणम् पोट्रि
वेन्‍र पगै केड़ुक्‍कुम् न‍िन कैय‍िल वेल पोट्रि
एन्‍रेन्‍रूम् उन सेवगमे एत्‍त‍िप्‍परै कोलवान
इन्‍र याम वन्‍दोम इरंगेलोर एम्‍पावाय ।।

धीरे धीरे गोप‍ियां श्रीकृष्‍ण को ढूंढ लेती हैं जो क‍ि सोकर उठते हुए उन की ओर आ रहे होते हैं। इस बीच जब वे आ रहे होते हैं वे उनके त‍िरुवड‍िगल के ल‍िए मंगलाशंसनम प्रस्‍तुत करती हैं। बहुत पहले उस द‍िन आपने इस चरणयुगल से इस जगत को मापा था अब हम इन चरणों की वंदना करते हैं। बहुत पहले आप दक्ष‍िण में लंका को गए और अपराधी रावण का वध क‍िया। हम आपकी अपार शक्‍त‍ि की मह‍िमा का गान करते हैं। आपने अपने पदाघात और त‍िरुवडी से शकटासुर का नाश क‍िया । हम आपके यश की जय करते हैं। अपने पांव को मोड़कर आपने वत्‍सासुर को चट्टान जैसे दंड की भांत‍ि उठाकर बेलपत्र कप‍ित्‍थ के वृक्ष का रुप धरे कप‍िट्टासुर कप‍ित्‍थासुर की ओर फेंक द‍िया ज‍िससे दोनों का वध एक साथ हो गया। हम आपके व‍िजयशील नूपुरों और चरणों की जय करते हैं ज‍िन्‍होंने यह चमत्‍कार क‍िया। आपने छत्र की भांत‍ि गोवर्धन पर्वत को ऊंचा उठा ल‍िया। हम आपके गुणों और शोभा की जय करते हैं। आप अपने हाथ में एक शक्‍त‍िशाली भाला पकड़े रहते हैं जो आपके शत्रुओं को आपके अधीन कर देता है या उनका नाश कर देता है। हम आपके उस भाले का यशोगान करते हैं। आपके चमत्‍कारों, वीरता और शुभ त‍िरुवडैगल की हम जय करते हैं। हम आज आपकी वंदना करने और आपसे वाद्य परै लेने आए हैं। तो कृपया अनंत कैंकर्य के अभ‍िलाषी हमारे प्रत‍ि सहानुभूत‍ि रखें।
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25
ओरूत्‍ति मगनायप्‍प‍िरन्‍द ओर इरव‍िल
ओरूत्‍त‍ि मगनाय ओल‍ित्‍त वलर्त
तर‍िक्‍क‍िलान आग‍ित्‍तान तींग न‍िनैन्‍द
करूत्‍तैप्‍प‍िड़ैप्‍प‍ित्‍त‍क्‍कंचन वाय‍िट्रिल
नेरूप्‍पेन्‍न न‍िन्‍र नेडुमाले उन्‍नै
अरूत्‍त‍ित वन्‍दोम परै तरूद‍ियाग‍िल
त‍िरूतक्‍क सेल्‍वमुम् सेवगमुम् याम पाडी
वरूत्‍तमुम् तीरन्‍द मग‍िड़न्‍देलोर एम्‍पावाय।
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एक स्‍त्री के कोख से जन्‍म लेकर और उसी रात छ‍िपकर आप क‍िसी और स्‍त्री के पुत्र बन गए। पर वह यह नहीं सह सका और आपको अध‍िक हान‍ि पहुंचाना चाहता था और उस कंस के पेट की आग बन गए। हम तो बस वाद्य लेने की अभ‍िलाषा से आए हैं और यद‍ि आप हमें वह वाद्य दे दें तो हम आपका यशोगान करेंगे और हम अपने दु:ख दूर करके प्रसन्‍न हो जाएंगें और अपनी देवी पावै की अर्चना करेंगे।
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26.
माले मन‍िवन्‍ना मारगड़ी नीराडुवान
मेलैयार सेयवंगल वेन्‍डुवन केट्ट‍ियेल
यांलत्‍तै एल्‍लाम नडंग मुरलवन
पाल अन्‍न वन्‍नदद उन पांच्‍चन्‍न‍ियमे
पोलवन संगगलम् पोयप्‍पाडुडैयनवे
सालाप्‍पेरूम् परेये पल्‍लान्‍डु इसैप्‍पारे
कोल व‍िलक्‍के कोड‍िये व‍िदानमे
आल‍िन इलैयाय अरूलेलोर एम्‍पावाय ।।

यहां गोप‍ियां ढो़ल, दीपक, ध्‍वजा, व‍ितान मांग रही हैं। आप न‍िस्‍स्‍वार्थ प्रेम का साकार रूप हो। नीलमण‍ि के रंग वाले भगवान आप हमारे व‍िनती सुनें जो मार्गशीर्ष में स्‍नान करते हैं ज‍िस परंपरा का अनुसरण महान लोगों ने क‍िया, ज‍िन्‍हें व्रत के ल‍िए इन छ वस्‍तुओं की आवश्‍यकता है आपके पांचजन्‍य जैसे महान शंखों की जो दूध जैसे उज्जवल और अपने गर्जन से संपूर्ण व‍िश्‍व को कंपा देता है, बड़े नगाड़े या भेरी, पल्‍लाण्‍ड गायक अलंकृत दीपक ध्‍वज और झंडे, बड़ा व‍ितान। हे मायावी भगवान जो प्रलय के जल में वटपत्रशायी श‍िशु की तरह प्रकट हुआ अपनी असीम कृपा से हमें व्रत के इन छ उपकरणों को प्रदान कीज‍िए।
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27
कूडारै वेल्‍लुम् सीर् गोव‍िन्दा उन्‍तन्‍नै
पाड‍िप्‍परै कोन्‍ड याम पेरूम सम्‍मानम्
नाड पुगड़ुम् पर‍िस‍िनाल नन्‍रागच्‍
चूडगमे तोल वलैये तोडे सेव‍िप्‍पूवे
पाडगमे एन्‍रानैय पलगलनुम याम अन‍िवोम
आडै उडुप्‍पोम अदन प‍िन्‍ने पार चोरू
मूड नेय पेयद मुड़न्‍गै वड़ी वारक्‍
कूडी इरन्‍द कुल‍िरन्‍देलोर एम्‍पावाय ।।
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जब भगवान गोप‍ियों का मनोरथ पूरा कर देते हैं तो वे अपनी प्रसन्‍नता प्रकट करती हैं। वे कहती हैं हे गोव‍िन्‍द आप अपने व‍िरोध‍ियों को जीतने में सक्षम हैं। हम आपसे वाद्य परै लेंगे और सख‍ियां आपका यशोगान करेंगी। इससे हमें सारे संसार का यश म‍िलेगा। हम स्‍वयं को कंगन, कंधों के आभूषण, कुंडल, कर्णफूल और पायल आद‍ि से सजाएंगें । हम नए कपड़े पहनेंगे। आपके सान्‍निध्‍य में आकर हम बहुत आनन्‍द‍ित होंगे। दूध और प्रचुर घी में बने व्‍यंजन खाएंगे ज‍िसे खाते समय घी हमारी कुहन‍ियों तक र‍िसने लगे। हम सदा के ल‍िए एक हो जाएंगे और हमारा च‍ित्‍त शांत हो जाएगा और हम आनंद मनाएंगे। .

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करवैकल प‍िन सेन्‍र कानम् सेरन्‍द उन्‍बोम्
अर‍िव ओन्‍रूम् इल्‍लाद आयक्‍कुलत्‍त उन्‍तन्‍नैप्‍
प‍िरव‍ि पेरून्‍दनैप्‍पुन्‍न‍ियम् याम उडैयोम
कुरै ओन्‍रूम् इल्‍लाद गोव‍िन्‍दा उन्‍दन्‍नोड
उरवेल नमक्‍क इंग ओड़‍िक्‍क ओड़‍ियाद
अर‍ियाद प‍िल्‍लैगलोम् अन्‍ब‍िनाल उन्‍तन्‍नै
स‍िर पेर अड़ैत्‍तनमुम स‍ीरी अरूलादे
इरैवा नी ताराय परैयेलोर एम्‍पावाय।।
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हे कृष्‍ण, हम साधारण अज्ञानी लोग हैं जो वनों में पशुओं के पीछे जाते हैं और वहीं ब‍िना हाथ धोए भोजन भी कर लेते हैं। ऐसे समुदाय में आपने जन्‍म ल‍िया, यह हमारा सौभाग्‍य है। हे गोव‍िन्द आप सभी गुणों से सम्‍पन्‍न हैं और इसल‍िए हमारी सभी दुर्बलताओं को दूर करने में सक्षम हैं। हमारे बीच का यह सम्‍बन्‍ध हम चाहें भी तो नहीं टूट सकता है। हम श‍िष्‍टाचार न जानने वाले बच्‍चों जैसे हैं। इसल‍िए आपको छोटे छोटे नामों से पुकारने के ल‍िए हमें क्षमा करें। हे प्रभु हमें ढोल दे दीज‍िए ताक‍ि हम अपनी देवी पावै क‍ि पूजा कर सकें हे प्रभु कृपया हमें परई अर्थात् मोक्ष प्रदान करें।

29
स‍िट्रम् स‍िर काले वन्‍द उन्‍नै सेव‍ित्‍त उन
पोट्रामरै अड‍िये पोट्रुम् पोरूल केलाय
पेट्रम् मेयत्‍त उन्‍नुम् कुलत्‍त‍िल प‍िरन्‍द नी
कुट्रेवल एंगलैक्‍कोल्‍लामल पोगाद
इट्रैप्‍परै कोल्‍वान अन्‍र कान गोव‍िन्‍दा
एट्रैक्‍कुम् एड़ एड़ प‍िरव‍िक्‍कुम् उन तन्‍नोड
उट्रोमे आवोम उनक्‍के नाम आच्‍चेयोम
मट्रै नाम कामन्‍गल माट्रेलोर एम्‍पावाय।।
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कृपया सुन‍ें क‍ि इतनी सुबह हम पूजा के ल‍िए आपके स्‍वर्ण चरणों पर क्‍यों आए हैं। आपने हम ग्वालों के कुल में जन्‍म ल‍िया और हम आपकी हर इच्‍छा पूरी करने के ल‍िए तत्‍पर हैं और स‍िर्फ आपसे वाद्य की याचना करने के ल‍िए नहीं आए हैं। सदा के ल‍िए और अनग‍िनत जन्‍मों के ल‍िए हमारा आपसे ही सम्‍बन्‍ध रहेगा और हम आपके दास रहेंगे इसल‍िए कृपया हमारी दूसरी सभी इच्‍छाओं को नष्‍ट कर दीज‍िए और देवी पावै की अर्चना करने में हमारी सहायता कीज‍िए।
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30
वंगक्‍कडल कडैन्‍द मादवनै केसवने
त‍िंगल त‍िरूमुगत्‍त सेय इड़ैयार सेन्‍र इरैन्‍च‍ि
अंगप्‍परै कोन्‍ड आट्रै अन‍ि पुदुवैप्‍
पेंगकमलत्‍तन तेर‍ियल पट्टर प‍िरान कोदै
संगत्‍तम‍िड़ मालै मुप्‍पदुम तप्‍पामे सोन्‍ना
इंग इप्‍पर‍िसुरैप्‍पार ईरि‍रन्‍ड माल वरै तोल
सेंगन त‍िरूमुगत्‍तुच्‍चेल्‍वत्‍त‍िरूमालाल
एंगुम त‍िरूवरूल पेट्र इन्‍बुरूवर एम्‍पावाय।।
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वह जो ब‍िना किसी त्रुटि के मधुर तमि‍ळ में तीस पद गाता है उस कथा को क‍ि क‍िस तरह चन्‍द्रमुखी धनी स्‍त्र‍ियों ने देवी पावै की अर्चना के ल‍िए वाद्य मांगने के ल‍िए क्षीर सागर को मथने वाले भगवान केशव की आराधना की। उन पदों को ज‍िन्‍हें भट्टार व‍िष्‍णुच‍ित्‍त की प्‍यारी पुत्री गोदै ने गाया, वह सुखी रहेगा और उस पर दयापूर्ण दृष्‍ट‍ि वाले और चार पर्वतों जैसे कंधों वाले भगवान व‍िष्‍णु की कृपा होगी।